Gandhi Jayanti 2020 Mahatma Gandhi Jayanti History, Importance And Biography - Mahatma Gandhi Jayanti 2020:...



एजुकेशन डेस्क,अमर उजाला

Updated Fri, 02 Oct 2020 07:29 AM IST








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Gandhi Jayanti 2020: देशभर में हर साल दो अक्तूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। 1930 में उन्होंने दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। 

दक्षिण अफ्रीका का पीटरमारित्जबर्ग रेलवे स्टेशन ही वह जगह थी, जहां से गांधी के भीतर अहिंसा का बीज पनपा। 7 जून 1893 को मोहनदास करमचंद गांधी रेलगाड़ी से डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे। उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था। जब ट्रेन पीटरमारित्जबर्ग पर रुकी, तो उन्हें थर्ड क्लास वाले डिब्बे में जाने के लिए कहा गया। गांधी जी ने इससे इनकार कर दिया। तब उन्हें बेइज्जत करके ट्रेन से धक्का देकर जबरदस्ती नीचे उतार दिया गया।

इसी घटना ने गांधी जी के भीतर सत्याग्रह को जन्म दिया। महात्मा गांधी ने वो सर्द रात पीटरमारित्जबर्ग के वेटिंग रूम में गुजारी थी, जहां पर गर्मी से बचने के लिए कोई इंतजाम नहीं था। इस घटना का जिक्र करते हुए गांधी ने अपनी आत्मकथा, 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में लिखा है, 'मेरे संदूक में मेरा ओवरकोट भी रखा था। लेकिन मैंने इस डर से अपना ओवरकोट नहीं मांगा कि कहीं मुझे फिर से बेइज्जच न किया जाए। 






Gandhi Jayanti 2020: देशभर में हर साल दो अक्तूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। 1930 में उन्होंने दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। 






दक्षिण अफ्रीका का पीटरमारित्जबर्ग रेलवे स्टेशन ही वह जगह थी, जहां से गांधी के भीतर अहिंसा का बीज पनपा। 7 जून 1893 को मोहनदास करमचंद गांधी रेलगाड़ी से डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे। उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था। जब ट्रेन पीटरमारित्जबर्ग पर रुकी, तो उन्हें थर्ड क्लास वाले डिब्बे में जाने के लिए कहा गया। गांधी जी ने इससे इनकार कर दिया। तब उन्हें बेइज्जत करके ट्रेन से धक्का देकर जबरदस्ती नीचे उतार दिया गया।



इसी घटना ने गांधी जी के भीतर सत्याग्रह को जन्म दिया। महात्मा गांधी ने वो सर्द रात पीटरमारित्जबर्ग के वेटिंग रूम में गुजारी थी, जहां पर गर्मी से बचने के लिए कोई इंतजाम नहीं था। इस घटना का जिक्र करते हुए गांधी ने अपनी आत्मकथा, 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में लिखा है, 'मेरे संदूक में मेरा ओवरकोट भी रखा था। लेकिन मैंने इस डर से अपना ओवरकोट नहीं मांगा कि कहीं मुझे फिर से बेइज्जच न किया जाए। 
















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