न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 29 Aug 2020 01:37 AM IST
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गैर-भाजपा शासित राज्य शुक्रवार को जहां जेईई और नीट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए वहीं, सोशल मीडिया पर भी इसके विरोध ने जोर पकड़ा। ट्विटर पर इन परीक्षाओं के विरोध वाला ‘#speakupforstudentsafety’ शुक्रवार को 22.5 लाख पोस्ट के साथ पूरी दुनिया में टॉप ट्रेंड में रहा। विद्यार्थियों ने परीक्षा आयोजित करने का विरोध किया।
कुछ छात्रों ने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने की चुनौतियों के बारे में लिखा तो कई ने महामारी के बीच परीक्षा के तनाव का जिक्र किया। ट्विटर पर एक विद्यार्थी ने लिखा, सरकार को हमारी मनोवैज्ञानिक स्थिति समझनी चाहिए।
उसे स्पष्ट निर्देश जारी कर बताना चाहिए कि बाढ़ग्रस्त और कोविड प्रभावित परीक्षार्थी कैस परीक्षा देंगे? सुप्रीम कोर्ट को भी फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। एक अन्य विद्यार्थी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को टैग कर दखल देने की अपील की।
कुछ छात्रों ने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने की चुनौतियों के बारे में लिखा तो कई ने महामारी के बीच परीक्षा के तनाव का जिक्र किया। ट्विटर पर एक विद्यार्थी ने लिखा, सरकार को हमारी मनोवैज्ञानिक स्थिति समझनी चाहिए।
उसे स्पष्ट निर्देश जारी कर बताना चाहिए कि बाढ़ग्रस्त और कोविड प्रभावित परीक्षार्थी कैस परीक्षा देंगे? सुप्रीम कोर्ट को भी फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। एक अन्य विद्यार्थी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को टैग कर दखल देने की अपील की।
इसमें कहा गया कि सरकार हमारी मुश्किल नहीं समझ रही है। मौत की घाटी में धकेल रही है आप से निवेदन है कि इस मामले में दखल दें। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक वीडियो जारी कर लॉकडाउन के चलते घरों को लौट गए विद्यार्थियों की मुश्किलों का मुद्दा उठाया।
थरूर ने कहा, सरकार का फैसला तर्कसंगत नहीं है। छत्तीसगढ़ के एक ट्विटर यूजर ने अपने साथी विकास खत्री के घर का वीडियो शेयर किया। उसने लिखा, विकास के घर दो दिन से बिजली नहीं है, चारों तरफ पानी ही पानी है आखिर ये कैसे इन परीक्षाओं में पहुंचेगा। शिक्षा मंत्री इस पर ध्यान दें।
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