Neet-jee Exam 2020 Know What Students And Academician Told In Amar Ujala Live Debate On Neet-jee Exam Row -...




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NEET-JEE EXAM 2020: नीट और जेईई परीक्षाओं को लेकर 'अमरउजालाडॉटकॉम' के लाइव डिबेट शो में उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड समेत कई राज्यों के छात्रों ने हिस्सा लिया और परीक्षा के पक्ष-विपक्ष में जोरदार तर्क दिए। छात्रों के साथ ही शिक्षाविदों ने भी परीक्षा को लेकर चल रहे इस पूरे मामले पर अपने तर्क रखे। 'अमर उजाला' ने नीट-जेईई परीक्षाओं को लेकर छात्रों की चिंता और शिक्षाविदों के विचार जानने के लिए 'परीक्षा पर बवाल..भविष्य पर सवाल' शीर्षक से एक घंटे का लाइव शो आयोजित किया था, जिसमें छात्रों ने ऐसे सवाल खड़े किए, जिनपर सरकार को अनिवार्य तौर पर विचार करना चाहिए। आइए जानते हैं कि इस डिबेट शो में परीक्षाओं के पक्ष और विपक्ष में छात्रों व शिक्षाविदों ने क्या विचार रखें..

'मैं छह घंटे का सफर करके कैसे भागलपुर से गया जाऊंगी...जबकि रिजर्वेशनन भी नहीं मिल रहा'
बिहार के भागलपुर जिले की तनु कुमारी इस समय नीट परीक्षा की तैयारी कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि उनका परीक्षा केंद्र गया जिले में आवंटित किया गया है। भागलपुर से गया जाने में छह घंटे से ज्यादा का वक्त लगता है और ट्रेन का रिजर्वेशन भी नहीं मिल रहा। ऐसे में वो कैसे नीट की परीक्षा में शामिल होंगी और कहां रहेंगी? उनको यह चिंता सता रही है।

'छात्र परीक्षा से नहीं भाग रहे...लेकिन सरकार को व्यवस्थाएं तो करनी चाहिए'
नीट और जेईई परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले राकेश कुमार का कहना है कि सरकार को परीक्षाओं को स्थगित करना चाहिए। क्योंकि इन परीक्षाओं के लिए व्यवस्था में थोड़ा परिवर्तन जरूरी है। जेईई की परीक्षा एक सितंबर को होनी वाली है और भागलपुर में सिर्फ चार सेंटर हैं। भागलपुर के बच्चों को परीक्षा के लिए पटना भेजा जा रहा है, अब सरकार के पास यह कनेक्टिविटी नहीं है कि भागलपुर से पटना कैसे जाएं? छात्र सात और आठ हजार रुपये में निजी गाड़ियां कर रहे हैं और जाने के बाद यह भी निश्चित नहीं है कि वो कहां ठहरेंगे?

जब सरकार यह कह रही है कि छह दिन में जेईई की परीक्षा करा लेंगे तो थोड़ा वक्त क्यों नहीं दिया जा रहा है। छात्रों को लाने और ले जाने का साधन बढ़ाने चाहिए, तभी उनके भीतर का डर निकल पाएगा। उन्होंने कहा कि छात्र परीक्षाओं से नहीं भाग रहे, लेकिन सरकार को वैसी व्यवस्थाएं तो करनी चाहिए।


'सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम होंगे तो भीतर का डर थोड़ा कम होगा'

उत्तराखंड की प्रतिष्ठा ने कहा कि परीक्षा देने में कोई दिक्कत नहीं है। परीक्षा केंद्र भी पास है। अगर परीक्षा देते वक्त सुरक्षा इंतजामों को पुख्ता रखेंगे तो भीतर का डर थोड़ा कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि अगर ये परीक्षाएं स्थगित भी होती हैं, तो आगे भी दिक्कतें तो जारी ही रहेंगी, क्योंकि कोरोना कब खत्म हो कोई नहीं जानता। इसलिए, परीक्षाओं का टालना कोई विकल्प नहीं है।

'पिछड़े क्षेत्रों के छात्र वंचित न हो.. सरकार को इस बात का ख्याल रखना चाहिए'
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर सूर्यप्रकाश ने कहा कि सुदूर क्षेत्रों के छात्र परीक्षा में कैसे भाग लेंगे सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। संभव है कि पिछड़े क्षेत्रों के छात्र इस परीक्षा देने से वंचित हो जाएं, ऐसे में उनका सालभर का सपना टूट जाएंगे। परीक्षा कराने के साथ ही तैयारी कैसी है इस पर गौर करना चाहिए।


'परीक्षा टलती है तो करियर का तनाव, होती है तो कोरोना संक्रमित होने का डर'

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर राघवेंद्र मिश्रा ने कहा कि इन परीक्षाओं को रद्द कराना विकल्प नहीं होगा। छात्र परीक्षा केंद्रों में किस तरह से पहुंचेंगे असल मुद्दा यह है। उन्होंने कहा कि 2020 में जिंदा रहने की प्राथमिकता है... परीक्षा टालना विकल्प इसलिए भी नहीं है कि छात्रों का जो एक साल बर्बाद होगा, उसकी भरपाई कैसे होगी। परीक्षा टलती है तो छात्रों को तनाव होगा और नहीं टलती है तो कोरोना ग्रसित होना का भय सताएगा।

'परीक्षाओं को स्थगित कर देना चाहिए'
देहरादून की शिफा ने कहा कि परीक्षाओं को स्थगित कर देना चाहिए। सरकार को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले छात्र कैसे परीक्षा केंद्र पहुंचेंगे? वहीं, छात्र नीलय उपाध्याय ने कहा कि बाढ़ ग्रसित इलाकों को देखते हुए सरकार को परीक्षाओं को थोड़ा आगे बढ़ा देना चाहिए।

'असल चुनौती छात्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने की है'
दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में तदर्थ प्राध्यापक प्रकाश उप्रेती ने कहा कि छात्र इन परीक्षाओं को नहीं देने की बात नहीं कर रहे हैं। इन परीक्षाओं के लिए विद्यार्थी दो-दो साल से तैयारी कर रहे हैं। बाढ़ और यातायात की समस्याओं को देखते हुए असल चुनौती छात्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने की है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।



NEET-JEE EXAM 2020: नीट और जेईई परीक्षाओं को लेकर 'अमरउजालाडॉटकॉम' के लाइव डिबेट शो में उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड समेत कई राज्यों के छात्रों ने हिस्सा लिया और परीक्षा के पक्ष-विपक्ष में जोरदार तर्क दिए। छात्रों के साथ ही शिक्षाविदों ने भी परीक्षा को लेकर चल रहे इस पूरे मामले पर अपने तर्क रखे। 'अमर उजाला' ने नीट-जेईई परीक्षाओं को लेकर छात्रों की चिंता और शिक्षाविदों के विचार जानने के लिए 'परीक्षा पर बवाल..भविष्य पर सवाल' शीर्षक से एक घंटे का लाइव शो आयोजित किया था, जिसमें छात्रों ने ऐसे सवाल खड़े किए, जिनपर सरकार को अनिवार्य तौर पर विचार करना चाहिए। आइए जानते हैं कि इस डिबेट शो में परीक्षाओं के पक्ष और विपक्ष में छात्रों व शिक्षाविदों ने क्या विचार रखें..



'मैं छह घंटे का सफर करके कैसे भागलपुर से गया जाऊंगी...जबकि रिजर्वेशनन भी नहीं मिल रहा'


बिहार के भागलपुर जिले की तनु कुमारी इस समय नीट परीक्षा की तैयारी कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि उनका परीक्षा केंद्र गया जिले में आवंटित किया गया है। भागलपुर से गया जाने में छह घंटे से ज्यादा का वक्त लगता है और ट्रेन का रिजर्वेशन भी नहीं मिल रहा। ऐसे में वो कैसे नीट की परीक्षा में शामिल होंगी और कहां रहेंगी? उनको यह चिंता सता रही है।



'छात्र परीक्षा से नहीं भाग रहे...लेकिन सरकार को व्यवस्थाएं तो करनी चाहिए'

नीट और जेईई परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले राकेश कुमार का कहना है कि सरकार को परीक्षाओं को स्थगित करना चाहिए। क्योंकि इन परीक्षाओं के लिए व्यवस्था में थोड़ा परिवर्तन जरूरी है। जेईई की परीक्षा एक सितंबर को होनी वाली है और भागलपुर में सिर्फ चार सेंटर हैं। भागलपुर के बच्चों को परीक्षा के लिए पटना भेजा जा रहा है, अब सरकार के पास यह कनेक्टिविटी नहीं है कि भागलपुर से पटना कैसे जाएं? छात्र सात और आठ हजार रुपये में निजी गाड़ियां कर रहे हैं और जाने के बाद यह भी निश्चित नहीं है कि वो कहां ठहरेंगे?

जब सरकार यह कह रही है कि छह दिन में जेईई की परीक्षा करा लेंगे तो थोड़ा वक्त क्यों नहीं दिया जा रहा है। छात्रों को लाने और ले जाने का साधन बढ़ाने चाहिए, तभी उनके भीतर का डर निकल पाएगा। उन्होंने कहा कि छात्र परीक्षाओं से नहीं भाग रहे, लेकिन सरकार को वैसी व्यवस्थाएं तो करनी चाहिए।












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