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हमारे शरीर में दो गुर्दे यानी किडनी होती हैं। जिनका मुख्य काम रक्त को छान कर विषैले पदार्थों को मूत्र (urine) के द्वारा शरीर से बाहर करना हैं। इसके अलावा किडनी के अन्य कार्य भी होते हैं जैसे ब्लड-प्रेशर को कंट्रोल करना, शरीर के इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) को बैलेंस करना, रेड ब्लड सेल के प्रॉडक्शन को स्टिम्युलेट करना। जब किडनी विषैले पदार्थों को किसी कारण से बाहर निकालने में असमर्थ होती है तो उसे किडनी फेल होना कहते हैं।
किडनी फेल होने के प्रकार
ये मुख्यत: 2 प्रकार होते हैं
- ऐक्यूट रीनल फेलियर (Acute renal failure) जब अचानक से किडनी विषैले पदार्थों को निकालना बंद कर दे।
- क्रोनिक रीनल फेलियर (Chronic renal failure) जब किडनी बहुत लम्बे समय से अपना कार्य ना कर पा रही हो।
कारण
- · अचानक किडनी में रक्त की सप्लाई (supply) कम हो जाना
- · उल्टी, दस्त, पसीना या किसी अन्य कारण से शरीर में पानी की कमी होना यानि (Dehydration) होना
- · किसी दवाई के साइड-इफ़ेक्ट के कारण
- · कम पानी पीने के कारण
- · जलने के कारण शरीर में पानी की कमी होने से
- · किसी बीमारी के कारण जैसे डायबीटीज, हृदयरोग, किडनी स्टोन आदि
- · ब्लैडर या युरेटर में कोई रुकावट आने के कारण (यूरिन वापस किडनी में जाता है जिससे किडनी डैमेज होती है)
- · हाइपर टेंशन
- · गलत खान-पान के कारण
लक्षण
अक्सर कुछ लोगो की आँखों के नीचे सूजन आ जाती हैं, जो कि किडनी के कार्य में रुकावट आने का संकेत होता हैं। इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
- · आँखों के नीचे सूजन आना
- · हाथ-पैरों में और चेहरे पर सूजन आना
- · थकान लगना
- · सांस लेने में तकलीफ होना
- · कमजोरी लगना
- · भूख कम लगना
- · वजन कम होना
- · रात में बार-बार पेशाब आना
- · पेशाब में खून आना
- · पेशाब की मात्रा कम या ज्यादा होना
- · रक्त की कमी होना (Anemia)
- · नींद ठीक से ना होना
होम्योपथी में किडनी रोग के लिए बहुत सारी मेडिसिन हैं,। इनमें से कुछ मेडिसिन के बारे में जानकारी दे रहा हूँ । किडनी रोग एक गंभीर रोग है, जिसमें सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। अत: स्वयं इलाज करने की चेष्टा ना करें।
ऐपिस-मेलिफिका (Apis-Mel)
पूरे शरीर में सूजन रहती है, खास कर चेहरे और आँखों पर सूजन रहती है। पेशाब में रुकावट होती है जिससे बार-बार पेशाब जाने की चाह होती है, परन्तु पेशाब कम मात्रा में आता है। प्यास नहीं लगती है। पसीना नहीं आता है। पेशाब में जलन होती है। पेशाब में एल्ब्यूमिन की मात्रा बढ़ जाती है। रोगी को गर्मी सहन नहीं होती है। कभी-कभी पेशाब बिल्कुल बंद हो जाता है। सिर, कमर और हाथ-पैरो में दर्द रहता है। पेशाब में झाग और बदबू आते हैं।
कैंथेरिस (Cantharis)
पेशाब में जलन के साथ खून जाता हैं। पेशाब बूंद-बूंद कर होता है। बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है, कभी-कभी तो दो-दो मिनिट बाद ही जाना पड़ता है। पेशाब करने के पहले, करते समय और बाद में काटता हुआ दर्द होता हैं। जलन होती हैं। नेफ्राइटिस (Nephritis/किडनी की सूजन)।
प्लंबम-मेट (Plumbum-Met)
पेशाब बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। पेशाब की स्पेसिक-ग्रैविटी कम होती है। पेट में तेज दर्द होता हैं। ये दवा किडनी रोग को बढ़ने से रोकती हैं। यह क्रोनिक इंटरस्टिसिअल नेफ्राइटीस (Chronic Interstitial Nephritis) नामक बीमारी (जिसमें किडनी के ट्यूब (kidney tubules) के बीच में सूजन आ जाती हैं) में उपयोगी है।
ऐपोसाइनम (Apocynum)
प्यास बहुत ज्यादा लगती है। पेशाब कम आता है, जिससे पूरे शरीर में सूजन रहती है। बेचैनी रहती है। बहुत ज्यादा उल्टी होती है।
टेरीबिन्थ (Terebinth)
पेशाब में मीठी सी गंध आती है। पेशाब बूंद-बूंद आता है जिसमें खून आता है और जलन होती है। ये ब्राइट-डिजीज, नेफ्राइटीस, ऐल्बुमिनोरिया आदि किडनी के सभी रोगों में बहुत उपयोगी है। पीठ में किडनी की जगह धीमा-धीमा दर्द होता हैं। चलने-फिरने से तकलीफ कम होती है। गहरे रंग का धुआं छोड़ने वाला पेशाब आता है। ये किडनी रोग के प्रथम स्टेज में उपयोगी है।
कोपेवा (Copaiva)
यह खास कर महिलाओं की किडनी या पेशाब की समस्या के लिए उपयोगी है। पेशाब करते समय जलन होती है। बूंद-बूंद करके पेशाब आता है। पेशाब करने की लगातार इच्छा होती हैं परन्तु पेशाब नहीं आता। बदबूदार पेशाब आता है।
एसजीटी यूनिवर्सिटी नई खोज, नए शोध के लिए एक पॉवरहाउस की तरह है। यहाँ हमेशi नए क्षेत्रों में शोध कार्य होते रहते हैं जो स्थानीय लोगों के लिए भी उपयोगी होते हैं। हमारे छात्र, अध्यापक और शोधार्थी शोध को लेकर अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। सामुदायिक सेवा में भी एसजीटी यूनिवर्सिटी महत्त्वपूर्ण भूमिका में है। शोध भागीदारी के रूप में यूनिवर्सिटी शोधार्थियों और स्थानीय व्यवसाय के बीच सेतु की तरह है।
-डॉ. सुरजीत सिंह राणा
हमारे शरीर में दो गुर्दे यानी किडनी होती हैं। जिनका मुख्य काम रक्त को छान कर विषैले पदार्थों को मूत्र (urine) के द्वारा शरीर से बाहर करना हैं। इसके अलावा किडनी के अन्य कार्य भी होते हैं जैसे ब्लड-प्रेशर को कंट्रोल करना, शरीर के इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) को बैलेंस करना, रेड ब्लड सेल के प्रॉडक्शन को स्टिम्युलेट करना। जब किडनी विषैले पदार्थों को किसी कारण से बाहर निकालने में असमर्थ होती है तो उसे किडनी फेल होना कहते हैं।
किडनी फेल होने के प्रकार
ये मुख्यत: 2 प्रकार होते हैं
- ऐक्यूट रीनल फेलियर (Acute renal failure) जब अचानक से किडनी विषैले पदार्थों को निकालना बंद कर दे।
- क्रोनिक रीनल फेलियर (Chronic renal failure) जब किडनी बहुत लम्बे समय से अपना कार्य ना कर पा रही हो।
SGT University
- फोटो : SGT University
कारण
- · अचानक किडनी में रक्त की सप्लाई (supply) कम हो जाना
- · उल्टी, दस्त, पसीना या किसी अन्य कारण से शरीर में पानी की कमी होना यानि (Dehydration) होना
- · किसी दवाई के साइड-इफ़ेक्ट के कारण
- · कम पानी पीने के कारण
- · जलने के कारण शरीर में पानी की कमी होने से
- · किसी बीमारी के कारण जैसे डायबीटीज, हृदयरोग, किडनी स्टोन आदि
- · ब्लैडर या युरेटर में कोई रुकावट आने के कारण (यूरिन वापस किडनी में जाता है जिससे किडनी डैमेज होती है)
- · हाइपर टेंशन
- · गलत खान-पान के कारण
लक्षण
अक्सर कुछ लोगो की आँखों के नीचे सूजन आ जाती हैं, जो कि किडनी के कार्य में रुकावट आने का संकेत होता हैं। इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
- · आँखों के नीचे सूजन आना
- · हाथ-पैरों में और चेहरे पर सूजन आना
- · थकान लगना
- · सांस लेने में तकलीफ होना
- · कमजोरी लगना
- · भूख कम लगना
- · वजन कम होना
- · रात में बार-बार पेशाब आना
- · पेशाब में खून आना
- · पेशाब की मात्रा कम या ज्यादा होना
- · रक्त की कमी होना (Anemia)
- · नींद ठीक से ना होना
SGT University
- फोटो : SGT University
होम्योपथी में किडनी रोग के लिए बहुत सारी मेडिसिन हैं,। इनमें से कुछ मेडिसिन के बारे में जानकारी दे रहा हूँ । किडनी रोग एक गंभीर रोग है, जिसमें सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। अत: स्वयं इलाज करने की चेष्टा ना करें।
ऐपिस-मेलिफिका (Apis-Mel)
पूरे शरीर में सूजन रहती है, खास कर चेहरे और आँखों पर सूजन रहती है। पेशाब में रुकावट होती है जिससे बार-बार पेशाब जाने की चाह होती है, परन्तु पेशाब कम मात्रा में आता है। प्यास नहीं लगती है। पसीना नहीं आता है। पेशाब में जलन होती है। पेशाब में एल्ब्यूमिन की मात्रा बढ़ जाती है। रोगी को गर्मी सहन नहीं होती है। कभी-कभी पेशाब बिल्कुल बंद हो जाता है। सिर, कमर और हाथ-पैरो में दर्द रहता है। पेशाब में झाग और बदबू आते हैं।
कैंथेरिस (Cantharis)
पेशाब में जलन के साथ खून जाता हैं। पेशाब बूंद-बूंद कर होता है। बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है, कभी-कभी तो दो-दो मिनिट बाद ही जाना पड़ता है। पेशाब करने के पहले, करते समय और बाद में काटता हुआ दर्द होता हैं। जलन होती हैं। नेफ्राइटिस (Nephritis/किडनी की सूजन)।
प्लंबम-मेट (Plumbum-Met)
पेशाब बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। पेशाब की स्पेसिक-ग्रैविटी कम होती है। पेट में तेज दर्द होता हैं। ये दवा किडनी रोग को बढ़ने से रोकती हैं। यह क्रोनिक इंटरस्टिसिअल नेफ्राइटीस (Chronic Interstitial Nephritis) नामक बीमारी (जिसमें किडनी के ट्यूब (kidney tubules) के बीच में सूजन आ जाती हैं) में उपयोगी है।
ऐपोसाइनम (Apocynum)
प्यास बहुत ज्यादा लगती है। पेशाब कम आता है, जिससे पूरे शरीर में सूजन रहती है। बेचैनी रहती है। बहुत ज्यादा उल्टी होती है।
टेरीबिन्थ (Terebinth)
पेशाब में मीठी सी गंध आती है। पेशाब बूंद-बूंद आता है जिसमें खून आता है और जलन होती है। ये ब्राइट-डिजीज, नेफ्राइटीस, ऐल्बुमिनोरिया आदि किडनी के सभी रोगों में बहुत उपयोगी है। पीठ में किडनी की जगह धीमा-धीमा दर्द होता हैं। चलने-फिरने से तकलीफ कम होती है। गहरे रंग का धुआं छोड़ने वाला पेशाब आता है। ये किडनी रोग के प्रथम स्टेज में उपयोगी है।
कोपेवा (Copaiva)
यह खास कर महिलाओं की किडनी या पेशाब की समस्या के लिए उपयोगी है। पेशाब करते समय जलन होती है। बूंद-बूंद करके पेशाब आता है। पेशाब करने की लगातार इच्छा होती हैं परन्तु पेशाब नहीं आता। बदबूदार पेशाब आता है।
एसजीटी यूनिवर्सिटी नई खोज, नए शोध के लिए एक पॉवरहाउस की तरह है। यहाँ हमेशi नए क्षेत्रों में शोध कार्य होते रहते हैं जो स्थानीय लोगों के लिए भी उपयोगी होते हैं। हमारे छात्र, अध्यापक और शोधार्थी शोध को लेकर अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। सामुदायिक सेवा में भी एसजीटी यूनिवर्सिटी महत्त्वपूर्ण भूमिका में है। शोध भागीदारी के रूप में यूनिवर्सिटी शोधार्थियों और स्थानीय व्यवसाय के बीच सेतु की तरह है।
-डॉ. सुरजीत सिंह राणा
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