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पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर आईआईआईटी भोपाल की शुरुआत 2017 में हुई थी। इसके पहले बैच के स्टूडेंट्स अगले साल अपनी डिग्री पूरी करने जा रहे हैं। लेकिन अब तक इस संस्थान के पास अपना कैंपस भी नहीं है। यह मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल (MANIT) से संचालित हो रहा है, जिसे NIT भोपाल के नाम से जानते हैं।
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इन्हीं मांगों को लेकर 200 से ज्यादा स्टूडेंट्स पिछले एक सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे कक्षाओं का बहिष्कार कर कॉरिडोर में बैठे हैं। इनका प्रदर्शन बंद कराने के लिए संस्थान ने उन्हें परीक्षा में फेल करने तक की धमकी दे डाली। लेकिन कोई खास असर नहीं दिखा।
स्टूडेंट्स का कहना है कि 'हमें जो शिक्षक पढ़ा रहे हैं वे अस्थाई हैं। अक्सर ऐसा होता है कि कुछ महीने या साल भर तक पढ़ाने के बाद शिक्षक बदल जाते हैं। इसका सीधा असर हमारी पढ़ाई पर होता है। यहां हमारी परेशानियां सुनने वाला भी कोई नहीं है। हमने मैनिट निदेशक और आईआईआईटी भोपाल की नोडल ऑफिसर से भी बात की। लेकिन वे भी हमारी मदद करने के लिए तैयार नहीं हैं।'
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बता दें कि मैनिट के निदेशक नरेंद्र सिंह रघुवंशी ही फिलहाल आईआईआईटी भोपाल के मेंटर हैं। जबकि मैनिट की प्रोफेसर ज्योति सिंघई आईआईआईटी की नोडल पदाधिकारी हैं।
जब मीडिया द्वारा नोडल ऑफिसर ज्योति संघई से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया। हालांकि मैनिट के कुछ अधिकारियों का कहना है कि स्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति केंद्र के अंतर्गत आती है। स्टूडेंट्स के विरोध प्रदर्शन के बारे में उनके पैरेंट्स को भी चिट्ठी भेज दी गई है जिसमें कहा गया है कि अगर इनकी ये गतिविधि यूं ही जारी रही तो इन्हें परीक्षआ में जीरो नंबर दे दिया जाएगा।
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अब विरोध कर रहे स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे कुछ प्रतिनिधियों को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली भेजेंगे। स्टूडेंट्स ट्विटर पर भी #IIITBhopalcrisis के नाम से कैंपेन चला रहे हैं।
बता दें कि IIITs में ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE) मेन और एडवांस्ड के जरिए अच्छी रैंक पाने वाले स्टूडेंट्स को दाखिला मिलता है।
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