जितेंद्र भारद्वाज, नई दिल्ली
Updated Wed, 14 Nov 2018 02:29 PM IST
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बता दें कि पिछले साल गर्मियों में खासतौर पर लेह एयरपोर्ट के बारे में खुफिया एजेंसियों की ओर से एक इनपुट जारी किया गया था। इसमें मुंबई जैसे आतंकी हमले की संभावना जताई गई थी। इसके बाद गृह मंत्रालय एवं और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा लेह एयरपोर्ट के अलावा जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के तीनों एयरपोर्ट यानी जम्मू-श्रीनगर-लेह की सुरक्षा व्यवस्था का गहराई से विश्लेषण किया गया।
सूत्रों की मानें तो इसमें कई तरह की सुरक्षा खामियां सामने आई थी। जिस मुस्तैदी से दिल्ली या दूसरी मेट्रो सिटी में एयरपोर्ट सुरक्षा देखने को मिलती है, उतना इन तीनों एयरपोर्ट पर नहीं था। कई मामलों में तो सुरक्षा के तय मापदंड भी पूरे नहीं हो रहे थे।
इन सबके चलते और एयरपोर्ट सुरक्षा के उच्चस्तरीय मापदंडों को पूरा करने के लिए इन हवाईअड्डों की सुरक्षा सीआईएसएफ के हवाले करने की सिफारिश की गई थी। लेह एयरपोर्ट विश्व के अधिकतम ऊंचाई वाले एयरपोर्ट में शामिल है।इसकी समुंद्र तल से ऊंचाई करीब 10,683 फुट है। लेह एयरपोर्ट का महत्च इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि लद्दाख क्षेत्र की सीमाएं चीन और पाकिस्तान से मिलती हैं।
सीआईएसएफ द्वारा जल्द ही तीनों एयरपोर्ट पर संसाधन एवं उपकरणों के लिए सर्वे प्रक्रिया शुरु की जा रही है। चूंकि ये तीनों हवाईअड्डे विशेष सुरक्षा के तहत आते हैं, इसलिए यहां पर अन्य एयरपोर्ट के मुकाबले सीआईएसएफ जवानों की अधिक संख्या तैनात की जाएगी।
कुछ माह पहले ही तीनों एयरपोर्ट पर अनिवार्य सामान पहचान व्यवस्था खत्म कर दी गई थी...
सुरक्षा कारणों से श्रीनगर, लेह और जम्मू हवाई अड्डे से यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए चेक-इन के बाद सामान की पहचान अनिवार्य थी। इससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से यह जरूरी था। जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु से इस प्रक्रिया को खत्म करने का आग्रह किया था। कुछ दिन बाद अनिवार्य सामान पहचान प्रक्रिया खत्म कर दी गई थी।

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