इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी व आर्किटेक्चर में डिग्री के बाद अब छात्र बेरोजगार नहीं रहेंगे। केंद्र सरकार ने तकनीकी शिक्षा के छात्रों को रोजगार से जोड़ने के मकसद से पहली इंटर्नशिप व कैंपस प्लेसमेंट नीति को मंजूरी दे दी है। सत्र 2019 से तकनीकी कॉलेज, इंडस्ट्री व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) मिलकर रोजगार तैयार करेंगे। खास बात है कि अब रोजगार तैयार करने में इंडस्ट्री की भी जिम्मेदारी तय की गई है।
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे के मुताबिक, पहली बार तकनीकी शिक्षा के छात्रों को रोजगार से जोड़ने की नीति बनाई गई है। दूसरे सेमेस्टर से गर्मियों की छुट्टियों में चार से छह हफ्तों में अनिवार्य इंटर्नशिप होगी। डिप्लोमा में 10-16 क्रेडिट तो डिग्री प्रोग्राम में 14-20 क्रेडिट का लाभ मिलेगा। इंटर्नशिप की नई नीति में पहली बार कॉलेज व विश्वविद्यालय, इंडस्ट्री, छात्र और एआईसीटीई के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं। इंटर्नशिप की निगरानी के साथ हर वर्ष रिपोर्ट भी तैयार होगी।
विश्वविद्यालय या कॉलेज के कुल बजट का एक फीसदी ट्रेनिंग व प्लेसमेंट सेल और विभिन्न गतिविधियों पर खर्च होगा। प्लेसमेंट सेल में छात्रों की कमेटी भी गठित होगी, जिसमें प्रति कोर्स और प्रोग्राम में से एक से तीन छात्र शामिल होंगे। बीस छात्रों के ग्रुप पर वरिष्ठ शिक्षक मेंटर और एक स्टूडेंट कॉर्डिनेटर भी होगा। भारतीय भाषाओं के साथ-साथ विदेशी भाषा में भी निपुण करवाया जाएगा। नई नीति में एआईसीटीई की रोजगार तलाशने की जिम्मेदारी तय की है। इसके तहत गांव, छोटे शहर, महानगर, इंडस्ट्री व कंपनियों में नौकरियों की संभावनाओं पर काम करना होगा। डिग्री प्रोग्राम के छात्रों को तीन सौ से चार सौ घंटे एक्टिविटी प्रोग्राम के तहत सामुदायिक सेवा करनी पड़ेगी। एनसीसी, एनएसएस, खेलकूद में भाग लेने वाले छात्रों को क्रेडिट मिलेंगे।
छात्रों को तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ मानवीय मूल्य, भारतीय संस्कृति व संस्कार में भी निपुण करवाया जाएगा। मुख्यत: इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट के छात्रों को कपड़े पहनने का ढंग, कार्यक्रम व पार्टी में बातचीत का ढंग भी सिखाया जाएगा। इसका मकसद है कि वे इंडस्ट्री या विदेशी कंपनियों की मांग के आधार पर तैयार हो सकें।
- कॉलेज प्लेसमेंट सेल गर्मियों की छुट्टियों से पहले कंपनियों व इंडस्ट्री को इंटर्नशिप का ईमेल भेजेगी। छात्रों के ग्रुप को अलग-अलग अवधि में चार से छह हफ्तों के लिए भेजा जाएगा। इंडस्ट्री की ओर से प्लेसमेंट सेल को ईमेल पर इंडस्ट्री या कंपनी ट्रेनिंग व सीट की पुष्टि का ईमेल भेजेंगी।
- इंडस्ट्री को अपने कर्मियों की तर्ज पर इंटर्नशिप में भाग लेने वाले छात्रों की सुरक्षा, बचाव, स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया करवानी अनिवार्य होगी। इसके अलाव छात्रों को ईमेल से इंटर्नशिप में भाग लेने का नियुक्ति पत्र भी मिलेगा। इंडस्ट्री या कंपनी इंटर्नशिप समाप्त होने पर छात्रों को सर्टिफिकेट भी देगी। इंडस्ट्री को अपना टारगेट या गोल तय करना, प्री इंटर्नशिप, लिखित में प्लान, स्टूडेंट को अलग-अलग इंडस्ट्री में भेजने की सूची भी तैयार करनी होगी।
- छात्रों को इंटर्नशिप के दौरान प्रतिदिन डायरी बनाकर रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इसमें प्रतिदिन विषय, सीखने पर लिखा जाएगा। इसमें इंडस्ट्री, कामकाज का तरीका, भाषा, अनुभव के बारे में लिखना होगा। छात्रों को चार हफ्तों के दौरान एक दिन व छह हफ्तों में दो दिन की छुट्टी मिलेगी।
- निगरानी सेल (प्लेसमेंट सेल अधिकारी, फैकल्टी मेंटर) इंटर्नशिप के दौरान औचक निरीक्षण करेगा। निगरानी सेल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को रिपोर्ट बनाकर देगा।
इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी व आर्किटेक्चर में डिग्री के बाद अब छात्र बेरोजगार नहीं रहेंगे। केंद्र सरकार ने तकनीकी शिक्षा के छात्रों को रोजगार से जोड़ने के मकसद से पहली इंटर्नशिप व कैंपस प्लेसमेंट नीति को मंजूरी दे दी है। सत्र 2019 से तकनीकी कॉलेज, इंडस्ट्री व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) मिलकर रोजगार तैयार करेंगे। खास बात है कि अब रोजगार तैयार करने में इंडस्ट्री की भी जिम्मेदारी तय की गई है।
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे के मुताबिक, पहली बार तकनीकी शिक्षा के छात्रों को रोजगार से जोड़ने की नीति बनाई गई है। दूसरे सेमेस्टर से गर्मियों की छुट्टियों में चार से छह हफ्तों में अनिवार्य इंटर्नशिप होगी। डिप्लोमा में 10-16 क्रेडिट तो डिग्री प्रोग्राम में 14-20 क्रेडिट का लाभ मिलेगा। इंटर्नशिप की नई नीति में पहली बार कॉलेज व विश्वविद्यालय, इंडस्ट्री, छात्र और एआईसीटीई के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं। इंटर्नशिप की निगरानी के साथ हर वर्ष रिपोर्ट भी तैयार होगी।
मानवीय मूल्य, भारतीय संस्कृति व संस्कार में भी होंगे निपुण
विश्वविद्यालय या कॉलेज के कुल बजट का एक फीसदी ट्रेनिंग व प्लेसमेंट सेल और विभिन्न गतिविधियों पर खर्च होगा। प्लेसमेंट सेल में छात्रों की कमेटी भी गठित होगी, जिसमें प्रति कोर्स और प्रोग्राम में से एक से तीन छात्र शामिल होंगे। बीस छात्रों के ग्रुप पर वरिष्ठ शिक्षक मेंटर और एक स्टूडेंट कॉर्डिनेटर भी होगा। भारतीय भाषाओं के साथ-साथ विदेशी भाषा में भी निपुण करवाया जाएगा। नई नीति में एआईसीटीई की रोजगार तलाशने की जिम्मेदारी तय की है। इसके तहत गांव, छोटे शहर, महानगर, इंडस्ट्री व कंपनियों में नौकरियों की संभावनाओं पर काम करना होगा। डिग्री प्रोग्राम के छात्रों को तीन सौ से चार सौ घंटे एक्टिविटी प्रोग्राम के तहत सामुदायिक सेवा करनी पड़ेगी। एनसीसी, एनएसएस, खेलकूद में भाग लेने वाले छात्रों को क्रेडिट मिलेंगे।
छात्रों को तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ मानवीय मूल्य, भारतीय संस्कृति व संस्कार में भी निपुण करवाया जाएगा। मुख्यत: इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट के छात्रों को कपड़े पहनने का ढंग, कार्यक्रम व पार्टी में बातचीत का ढंग भी सिखाया जाएगा। इसका मकसद है कि वे इंडस्ट्री या विदेशी कंपनियों की मांग के आधार पर तैयार हो सकें।
नई नीति के अहम बिंदु
- कॉलेज प्लेसमेंट सेल गर्मियों की छुट्टियों से पहले कंपनियों व इंडस्ट्री को इंटर्नशिप का ईमेल भेजेगी। छात्रों के ग्रुप को अलग-अलग अवधि में चार से छह हफ्तों के लिए भेजा जाएगा। इंडस्ट्री की ओर से प्लेसमेंट सेल को ईमेल पर इंडस्ट्री या कंपनी ट्रेनिंग व सीट की पुष्टि का ईमेल भेजेंगी।
- इंडस्ट्री को अपने कर्मियों की तर्ज पर इंटर्नशिप में भाग लेने वाले छात्रों की सुरक्षा, बचाव, स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया करवानी अनिवार्य होगी। इसके अलाव छात्रों को ईमेल से इंटर्नशिप में भाग लेने का नियुक्ति पत्र भी मिलेगा। इंडस्ट्री या कंपनी इंटर्नशिप समाप्त होने पर छात्रों को सर्टिफिकेट भी देगी। इंडस्ट्री को अपना टारगेट या गोल तय करना, प्री इंटर्नशिप, लिखित में प्लान, स्टूडेंट को अलग-अलग इंडस्ट्री में भेजने की सूची भी तैयार करनी होगी।
- छात्रों को इंटर्नशिप के दौरान प्रतिदिन डायरी बनाकर रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इसमें प्रतिदिन विषय, सीखने पर लिखा जाएगा। इसमें इंडस्ट्री, कामकाज का तरीका, भाषा, अनुभव के बारे में लिखना होगा। छात्रों को चार हफ्तों के दौरान एक दिन व छह हफ्तों में दो दिन की छुट्टी मिलेगी।
- निगरानी सेल (प्लेसमेंट सेल अधिकारी, फैकल्टी मेंटर) इंटर्नशिप के दौरान औचक निरीक्षण करेगा। निगरानी सेल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को रिपोर्ट बनाकर देगा।
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