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इसमें तमिल भाषी पहले और हिंदी भाषी छात्र दूसरे स्थान पर थे। इसके बाद एआईसीटीई ने आगामी सत्र से इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्रों को मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प देने का फैसला किया।
एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे के मुताबिक, शैक्षणिक सत्र 2021 से नई शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई का मौका मिलेगा। इंजीनियरिंग प्रोग्राम में क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई करवाने का विकल्प देने से पहले कराए सर्वे में कुल 83195 छात्रों ने भाग लिया।
इसमें से 68 फीसदी लड़के और 32 फीसदी लड़कियां शामिल थीं। इसमें से 28 फीसदी लड़कियों और 75 फीसदी लड़कों ने उच्च शिक्षा में मातृभाषा को चुना है। इन छात्रों में से 71 फीसदी ने 10वीं तक और 74 फीसदी ने 12वीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में कर रखी है। उन्होंने तमिल, मराठी, हिंदी और बांग्ला भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को बेहतर कहा है।
सर्वे का रुझान: इतने छात्रों ने मातृभाषा को चुना
पहला वर्ष : 38.20 फीसदी
दूसरा वर्ष : 44.60 फीसदी
तीसरा वर्ष: 45.81 फीसदी
चौथा वर्ष : 43.72 फीसदी
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