Supreme Court on UPSC Civil Service Exam
- फोटो : अमर उजाला
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कोरोना महामारी के दौरान अक्तूबर 2020 में सिविल सेवा परीक्षा में अंतिम प्रयास देने वाले छात्रों के लिए राहत भरी खबर आई है। दरअसल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इन छात्रों को एक और मौका देने के लिए तैयार हो गई है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट उन अभ्यर्थियों को यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के लिए एक और मौका देने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई कर रही थी, जो 2020 में महामारी के कारण अपना अंतिम प्रयास नहीं कर पाए थे।
केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को, उच्चतम न्यायालय को बताया था कि कोविड-19 के कारण 2020 में अंतिम प्रयास की परीक्षा में भाग नहीं ले पाने वाले छात्रों को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देने की अनुमति संपूर्ण परीक्षा प्रणाली को व्यापक रूप से प्रभावित करेगी।
सरकार के इस निर्णय पर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि उनके समक्ष दायर हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं है कि यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया है।
मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा था कि यह सामान्य हलफनामा एक अवर सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा दायर किया गया है। पीठ ने कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है।
कोरोना महामारी के दौरान अक्तूबर 2020 में सिविल सेवा परीक्षा में अंतिम प्रयास देने वाले छात्रों के लिए राहत भरी खबर आई है। दरअसल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इन छात्रों को एक और मौका देने के लिए तैयार हो गई है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट उन अभ्यर्थियों को यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के लिए एक और मौका देने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई कर रही थी, जो 2020 में महामारी के कारण अपना अंतिम प्रयास नहीं कर पाए थे।
केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को, उच्चतम न्यायालय को बताया था कि कोविड-19 के कारण 2020 में अंतिम प्रयास की परीक्षा में भाग नहीं ले पाने वाले छात्रों को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका देने की अनुमति संपूर्ण परीक्षा प्रणाली को व्यापक रूप से प्रभावित करेगी।
सरकार के इस निर्णय पर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि उनके समक्ष दायर हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं है कि यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया है।
मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा था कि यह सामान्य हलफनामा एक अवर सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा दायर किया गया है। पीठ ने कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है।
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