सर्वोच्च न्यायालय
- फोटो : पीटीआई
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आईआईटी मुंबई के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में दाखिला लेने से 18 वर्षीय एक छात्र केवल इसलिए चूक गया क्योंकि उसने 'अनजाने' में एक 'गलत' लिंक पर क्लिक कर दिया जो प्रक्रिया से बाहर होने से संबंधित था। इसके बाद आगरा के रहने वाले छात्र सिद्धांत बत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
छात्र ने अदालत से आईआईटी को उसे प्रवेश देने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया है। इससे पहले आईआईटी ने इस चरण में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया था क्योंकि सीटें भर चुकी हैं और नियमों का पालन जरूरी था। संस्थान ने कहा कि बत्रा अगले साल फिर जेईई (एडवांस) में आवेदन कर सकते हैं।
जेईई (एडवांस) परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 270वीं रैंक प्राप्त करने वाले सिद्धांत बत्रा ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसने अनजाने में एक गलत लिंक पर क्लिक कर दिया था जो उसकी सीट को छोड़ने से संबंधित था। याचिका के मुताबिक, बत्रा का मकसद प्रवेश पाने के लिए सीट को सुरक्षित करना था।
छात्र ने अदालत से आईआईटी को उसे प्रवेश देने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया है। इससे पहले आईआईटी ने इस चरण में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया था क्योंकि सीटें भर चुकी हैं और नियमों का पालन जरूरी था। संस्थान ने कहा कि बत्रा अगले साल फिर जेईई (एडवांस) में आवेदन कर सकते हैं।
जेईई (एडवांस) परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 270वीं रैंक प्राप्त करने वाले सिद्धांत बत्रा ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसने अनजाने में एक गलत लिंक पर क्लिक कर दिया था जो उसकी सीट को छोड़ने से संबंधित था। याचिका के मुताबिक, बत्रा का मकसद प्रवेश पाने के लिए सीट को सुरक्षित करना था।
बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने 23 नवंबर को बत्रा की याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बत्रा ने आईआईटी को इसमें मानवीय आधार पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। साथ ही एक सीट बढ़ाने का आग्रह किया है।
अपने माता-पिता की मौत के बाद छात्र अपने दादा-दादी के साथ रहता है।


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