इस साल हमारे राष्ट्रपिता की 151वीं जयंती है। अगर इस अवसर पर आपको स्पीच देनी है, तो यहां आपको कुछ आइडियाज बताए जा रहे हैं। इन्हें अपनाकर आप अपने दर्शकों, श्रोताओं से खूब तालियां व तारीफ बटोर सकते हैं।
Gandhi Jayanti: इन टॉपिक्स पर तैयार कर सकते हैं स्पीच
गांधी और सत्याग्रह (Gandhi and Satyagrah)
1906-07 में महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी। यह आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में भारतायों के लिए अनिवार्य पंजीकरण और पास के खिलाफ छेड़ा गया था।
हरिजन और गांधी
हमारे समाज में जिन समुदायों के लोगों को 'अछूत' कहा जाता था, उन्हें बापू ने 'हरिजन' नाम दिया। जिस शब्द का अर्थ है हरि (भगवान) की संतान। इस एक पहल ने इन समुदायों के लोगों को सम्मानजनक जीवन दिलाने की कोशिश में बड़ी भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता में अहिंसा की भूमिका
'अहिंसा' - जब भी अहिंसा की बात आती है, तो सबसे पहले 'बापू' का नाम आता है। महात्मा गांधी ने न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया को अहिंसा के मायने समझाए। बताया कि अहिंसा एक व्यक्तिगत आदत है जिसका अर्थ है किसी भी परिस्थिति में खुद को या दूसरों को क्षति न पहुंचाई जाए।
बापू और भारत छोड़ो आंदोलन
महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को अंग्रेजों के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' (Quit India Movement) की शुरुआत की थी। तब दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था। इसी आंदोलन के दौरान बापू ने 'करो या मरो' (Do or Die) का नारा दिया था। विश्वयुद्ध खत्म होने तक ब्रिटिश सरकार ने कह दिया कि वह भारत को उसकी शक्तियां वापस करेगी।
2 अक्टूबर - अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस
गांधी जयंती की सबसे खास बातों में से एक यह है कि इस दिन को पूरी दुनिया अहिंसा दिवस के रूप में मनाती है। 15 जून 2007 को यूनाइटेड नेशंस जेनरल असेंबली ने इस तारीख को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मानए जाने के लिए सर्वसहमति से वोट दिया था।
कहा गया था कि - गांधी जी ने दुनिया को सिखाया है कि शांति का मार्ग अपनाकर भी आजादी पाई जा सकती है। उनका मानना था कि हिंसा का रास्ता चुनकर हम कभी अपने अधिकार नहीं पा सकते। अहिंसा की राह पर चलकर ही राष्ट्रपिता ने दक्षिण अफ्रीका में करीब 75 हजार भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए थे।
'मोहनदास करमचंद गांधी' से 'राष्ट्रपिता' का सफर
जो शख्स बैरिस्टर बनकर वकालत की प्रैक्टिस करने दक्षिण अफ्रीका गया था, वह मोहनदास करमचंद गांधी था। लेकिन उनकी विचारधारा और लोगों के हक के लिए लड़ाई लड़ने के उनके तरीके ने उन्हें 'राष्ट्रपिता' और 'महात्मा' की उपाधि दिलाई।
वह सन् 1900 की शुरुआत में भारतीय प्रवासी बनकर वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गए थे। फिर पहले विश्वयुद्ध तक भारत और भारतीयों के हक के लिए लड़ने वाले नेतृत्व बनकर उभरे। फिर अपने देश वापस लौटे और अंतिम सांस तक अपनी विचारधारा के बल पर ही दूसरों के लिए लड़ाइयां लड़ते रहे।
कुछ अन्य टॉपिक्स
21वीं सदी में गांधी और उनकी विचारधारा के मायने
'अछूत' प्रथा पर गांधी की विचारधारा
मुस्लिम समुदाय के लिए गांधी के संदेश
मानवता के लिए गांधी के संदेश
विद्यार्थियों के लिए गांधी के संदेश
शिक्षा पर गांधी के विचार
गांधी - सादा जीवन, उच्च विचार
गांधी के आंदोलन - डांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन, आदि।
स्पीच देने का तरीका
स्पीच में क्या बातें कही जा रही हैं, यह काफी अहम है। लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है स्पीच देने का तरीका। इसलिए एक दिन पहले से ही आइने के सामने खड़े होकर अपनी स्पीच की प्रैक्टिस करें। कोशिश करें कि कागज देखकर स्पीच न देनी पड़े।
लोगों की आंखों में देखकर, पूरे आत्मविश्वास के साथ, सही वॉयस टोन और मॉड्यूलेशन के साथ स्पीच दें। किसी वाक्य में कहां थोड़ा विराम लेना है, कहां लंबा, इसका भी ध्यान रखें।
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