एजुकेशन डेस्क,अमर उजाला
Updated Mon, 24 Aug 2020 11:41 AM IST
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विश्वविद्यालयों के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं पर यूजीसी केस में सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। दरअसल, विश्वविद्यालयों के आखिरी वर्ष की परीक्षाएं कराई जाएंगी या नहीं यह उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर है। इस मामले में कोर्ट 24 अगस्त को अपना अहम फैसला दे सकता है। 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने सभी पक्षों को अंतिम दलीलें लिखित में पेश करने के लिए तीन दिन का समय और दिया था।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) ने 6 जुलाई को संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे जिसमें कहा था कि सितंबर अंत तक सभी कॉलेजों/विश्वविद्यालयों की स्नानतक व परास्नातक आखिरी वर्ष की परीक्षाएं कराना अनिवार्य है। अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने को लेकर यूजीसी के इस दिशा-निर्देश को विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 18 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि यूजीसी के दिशा-निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर छात्रों की तरफ से कहा गया था कि देशभर में कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है। ऐसे में परीक्षाएं कराने से छात्रों के स्वास्थ्य/जीवन को खतरे में डालना होगा। अत: यूजीसी के दिशा-निर्देशों को रद्द कर बिना परीक्षा के ही रिजल्ट घोषित करने का निर्देश दिया जाए। दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले पर लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की थी और कहा था कि ऐसे हालात में परीक्षाएं आयोजित कराना संभव नहीं होगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) ने 6 जुलाई को संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे जिसमें कहा था कि सितंबर अंत तक सभी कॉलेजों/विश्वविद्यालयों की स्नानतक व परास्नातक आखिरी वर्ष की परीक्षाएं कराना अनिवार्य है। अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने को लेकर यूजीसी के इस दिशा-निर्देश को विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 18 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि यूजीसी के दिशा-निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर छात्रों की तरफ से कहा गया था कि देशभर में कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है। ऐसे में परीक्षाएं कराने से छात्रों के स्वास्थ्य/जीवन को खतरे में डालना होगा। अत: यूजीसी के दिशा-निर्देशों को रद्द कर बिना परीक्षा के ही रिजल्ट घोषित करने का निर्देश दिया जाए। दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले पर लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की थी और कहा था कि ऐसे हालात में परीक्षाएं आयोजित कराना संभव नहीं होगा।
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