
नर्सरी ऐडमिशन का एक बड़ा हिस्सा मॉन्टेसरी स्कूल/प्री स्कूल भी हैं, जिसे लेकर पैरंट्स उलझन में रहते हैं। ऐकडेमिक सेशन 2020-21 के लिए फॉर्म भरना शुरू हो चुके हैं। पिछले कुछ साल की शिकायतों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने साफ किया है कि ये प्राइवेट स्कूल अपने मेन स्कूल का ही हिस्सा होंगे और ये अलग से मनमानी ऐडमिशन प्रक्रिया नहीं रख सकते। इसके अलावा शिक्षा निदेशालय के डेप्युटी डायरेक्टर (प्राइवेट ब्रांच) योगेश प्रताप ने बताया कि उनकी टीम ने उन स्कूलों की लिस्ट बनानी शुरू कर दी है, जिनके ऐडमिशन क्राइटेरिया बैन किए गए क्राइटेरिया में शामिल हैं। निदेशालय जल्द ही डीडीई के जरिए इन स्कूलों को नोटिस देकर इन्हें बदलने का आदेश देगा।
फॉर्म भरने के दूसरे दिन 60 स्कूलों के ऐडमिशन क्राइटेरिया अपलोड करना बाकी है। सोमवार से नर्सरी ऐडमिशन की स्पीड बढ़ेगी। फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 27 दिसंबर है। दिल्ली में कई प्राइवेट स्कूलों की एक से तीन मॉन्टेसरी या प्री स्कूल यूनिट हैं, जिन पर पैरंट्स उलझन में हैं। करीब 200 मॉन्टेसरी स्कूल हैं और ज्यादातर के मेन स्कूल क्लास 10वीं या 12वीं तक है। मॉन्टेसरी स्कूल या प्री स्कूल वही स्कूल चला सकते हैं, जो मान्यता प्राप्त सोसायटी या ट्रस्ट के तहत आते हैं। एजुकेशन ऐक्टिविस्ट खगेश झा बताते हैं कि मॉन्टेसरी स्कूल में प्री स्कूल, नर्सरी, केजी सभी आते हैं, मगर इस 'सिंगल ऐडमिशन प्रोसेस' को लेकर स्पष्टता ना होने से भी उलझन खड़ी होती है, जैसे डिस्टेंस क्राइटेरिया। कई स्कूल डिस्टेंस में घर से दूरी को मेन स्कूल से नाप रहा है। अगर कोई स्कूल अपने मेन स्कूल से दूसरे सेक्टर में पांच किलोमीटर की दूरी पर है, मगर प्री स्कूल के पास भी है तब भी उसे ऐडमिशन नहीं मिल पाता है।
नर्सरी स्कूलों के लिए डीडीए ने करीब 400 प्लॉट 1980 से 2002 तक सस्ते रेट में अलॉट किए थे, मगर इनका निरीक्षण नहीं हो पाया है। इनमें से 100 स्कूलों ने 5वीं या 8वीं तक अपग्रेड कर लिए। कुछ स्कूलों ने प्री स्कूल के लिए एमसीडी से मान्यता ले ली हैं। बाकी बचे 200 ऐसे हैं, जो या तो मेन स्कूल की डायरेक्ट ब्रांच है या इनडायरेक्ट ब्रांच।
एजुकेशन डायरेक्टर बिनय भूषण बताते हैं कि निदेशालय ने इसे प्री स्कूल/मॉन्टेसरी स्कूलों को लेकर 1999 में ऑर्डर जारी किया था। इसके हिसाब से एक ही सोसायटी/ट्रस्ट के अंदर दिल्ली में चल रहे प्री स्कूल हर उद्देश्य के लिए एक इंस्टिट्यूशन माने जाएंगे। खगेश कहते हैं कि कई मेन स्कूल किसी और नाम से प्री स्कूल चला रहे हैं और वे इन्हें इंडिपेंडेंट स्कूल का नाम देते हैं। ये स्कूल हैं अपने छोटे स्कूलों को अपने प्री स्कूल नहीं मानते, जबकि इन्हीं से स्टूडेंट्स को मेन स्कूल में एडमिशन देते हैं। कई स्कूल आरटीआई एक्ट से बचने के लिए भी प्री स्कूल का सहारा लेते हैं।
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