टेक्नॉलजी के इस्तेमाल से शिक्षा को सरल, मजेदार, प्रासंगिक, इन्टरैक्टिव और व्यक्तिगत बनाया जा सकता है। टेक्नॉलजी के जरिए शिक्षकों, विडियो और इन्टरैक्टिव्स को एकसाथ लाकर छात्रों को व्यक्तिगत शिक्षा प्रदान की जा सकती है। बड़े डेटा एनालिटिक्स सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर बच्चा अपने तरीके और स्पीड से सीखे। इनोवेटिव तरीके और अडवांस टेक्नॉलजी से बनाए गए लर्निंग प्रोग्राम्स यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे मैथ्स न केवल समझे बल्कि उसे जीवन भर याद रखे। लर्निंग ऐप बायजूज की डायरेक्टर और टीचर दिव्या गोकुलनाथ मानती हैं कि मैथ्स को रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर सीखा और सिखाया जाए तो यह डर का नहीं बल्कि इन्जॉय करने वाला सब्जेक्ट है।
तो क्या मैथ्स को अधिक मजेदार और वास्तविक बनाया जा सकता है? आइए जानते हैं...
मैथ्स ज्यादा वास्तविक हैः मैथ्स को रियल लाइफ के उदाहरणों से आसानी से समझा जा सकता है। इसे रोजमर्रा के मजेदार अनुभवों के साथ जोड़ें। जैसे किराना सामान खरीदते समय, शॉपिंग करते समय, फल-सब्जियां खरीदते हुए आप मैथ्स का प्रयोग करते हैं। हर बार जब आप किसी प्रॉडक्ट की कीमत गिनते हैं या वस्तु का वजन करते हैं या सेल में मिल रही छूट का अनुमान लगाते हैं और फाइनल प्राइस कैलकुलेट करते हैं तो आप अपनी खरीदारी में मैथ्स का इस्तेमाल कर रहे होते हैं।
ट्रैवलिंग में मैथ्स का रोमांचः गाड़ी में पेट्रोल-डीजल कितना लगेगा, कितनी दूरी तय करनी है, टोल के लिए कितना खर्च होने वाला है... यह सब कुछ आप कैलकुलेशन की मदद से ही जान सकते हैं। जब गूगल मैप्स और GPS नहीं थे तब ट्रैवलर्स कागज पर नक्शों, एटलस और सड़क पर बने संकेतों की मदद से ही अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचते थे। इन सभी में मूल गणितीय सिद्धांतों का ही उपयोग किया जाता है।
विज़ुअलाइजिंग है मंत्रः जटिल गणितीय सिद्धांतों को जब आप एक विज़ुअल के रूप में देखते हैं और उनकी कल्पना करते हैं तब आप उन्हें आसानी से समझ सकते हैं। जैसे एक गोल आकार को समझाने के लिए पिज्जा या केक का उदाहरण हो सकता है। जब आप इसे टुकड़ों में काटते हैं तब आप फ्रैक्शन्स सीखते हैं।
जब कोई स्टूडेंट इस फार्म्युले से मैथ्स सीखता है तब वह मैथ्स कॉन्सेप्ट 'क्या' हैं यह सीखने के साथ-साथ ये कॉन्सेप्ट 'क्यों' और 'कैसे' हैं, यह भी सीखता है और स्टूडेंट को मैथ्स कॉन्सेप्स समझने में मदद मिलती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मैथ्स स्टूडेंट की पर्सेनेलिटी को निखरता है। उसके अंदर क्रिऐटिविटी, क्रिटिकल थिंकिंग, रीजनिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसे गुणों को बढ़ावा देता है।
'मैथ्स सिर्फ एक सब्जेक्ट नहीं है, यह सोचने का एक तरीका है...' मैथ्स आपको समस्याओं को सुलझाने के लिए तार्किक दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसलिए स्टूडेंट को मैथ्स को केवल के सब्जेक्ट के रूप में नहीं बल्कि एक लाइफ स्किल के तौर पर देखना और सीखना चाहिए जो उनमें प्रॉब्लम सॉलविंग की क्षमता को इम्प्रूव करने में मदद करता है।
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