
बिहार के बगहा का वो स्कूल जहां के 350 बच्चों को पढ़ाई के लिए कोचिंग पर निर्भर होना पड़ता है
बिहार (Bihar) के बगहा (Bagha) स्थित इस स्कूल (School) में 11वीं और 12वीं में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 350 है जो पढ़ाई या तो खुद से करते हैं या फिर कोचिंग की मदद से
तीन साल पहले हुआ था अपग्रेड
बगहा के इस स्कूल में नामांकन तो 350 बच्चों का है मगर शिक्षक एक भी नहीं है. वर्ष 2016 से ही इस स्कूल में शिक्षकों का अभाव है. बगहा का एनबीएस प्लस टू स्कुल नरईपुर तीन साल पहले यानी 2016 में हाईस्कूल से प्रोन्नत होकर कर प्लस टू की कटेगरी में आया था लेकिन इस स्कूल को एक भी शिक्षक नहीं मिला. यहां बच्चे इंटर में नामांकन लेते जरुर हैं लेकिन बिना क्लास किए ही परीक्षा देते हैं.
स्कूल में एडमिशन कोचिंग में पढ़ाईस्कूल से 12वीं की परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों में से कुछ पास भी कर जाते हैं. यहां के बच्चों को हर रोज एक आस रहती है जब वे स्कूल में पहुंचे तो पढाई करें मगर स्कूल किसी पार्क में टहलने जैसा ही रह गया है. बिन गुरु के ज्ञान बांटने वाले इस स्कूल में 350 बच्चे वर्तमान सत्र में इंटर में नामांकन लेकर अपनी किस्मत के सहारे पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ाई करने वाले छात्र रौशन कुमार ने बताया कि हमलोगों ने एक साल बिता दिया और अभी भी शिक्षकों का ही इंतजार कर रहे हैं. अब ऐसे में जब स्कूल में शिक्षक नहीं मिल रहे हमलोगों ने कोचिंग से ही तैयारी शुरू कर दी है.प्राचार्य बोले
इस मामले में स्कूल के प्राचार्य सीताराम प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2016 में यह प्लस टू स्कूल बना और इंटर में नामांकन लेने का आदेश मिला. विभागीय आदेश के आलोक में नामांकन लेना मजबूरी है. प्राचार्य के मुताबिक यहां वर्तमान में 350 बच्चों का नामांकन है लेकिन शिक्षक एक भी नहीं हैं. वहीं नगर परिषद,बगहा के उप सभापति जितेन्द्र राव ने बताया कि नगर में बिना शिक्षक कैसे पढ़ाई हो रही है इसको लेकर मैंने प्रचार्य से रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने कहा कि ये शिक्षा व्यवस्था के साथ भद्दा मजाक है.
रिपोर्ट- मुन्ना राज
ये भी पढ़ें- STF के हत्थे चढ़ा आर्म्स सप्लायर, हथियार और कारतूस की खेप देख दंग रह गए अधिकारी
ये भी पढ़ें- पटना: डेंगू के मरीजों को देखने गए अश्विनी चौबे पर फेंकी स्याही
0 Comments