Central Government Resumes Two Year Pg Diploma Course For Medical Graduates - केंद्र...



एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 30 Aug 2020 01:45 AM IST





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जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने चिकित्सा स्नातकों के लिए पीजी-डिप्लोमा कोर्स फिर से शुरू कर दिया है। यह कोर्स एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद नीट-पीजी परीक्षा उत्तीर्ण करके किया जा सकता है। डिप्लोमा कोर्सेज के लिए कम से कम 100 बिस्तरों की क्षमता वाले अस्पताल राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) से मान्यता के पात्र हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय एनबीई ने आठ विशेष क्षेत्रों में एमबीबीएस के बाद के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत की है। इनमें एनेस्थिसियोलॉजी, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनीकोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, फैमिली मेडिसिन, ऑप्थेल्मोलॉजी, रेडियोडायग्नोसिस, ईएनटी और टीबी एवं चेस्ट डिजीज शामिल हैं।

भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने वर्ष 2019 में देश में शैक्षिक संकाय की कमी को दूर करने के लिए अपने डिप्लोमा कोर्सेज को डिग्री कोर्सेज में बदल दिया था। एनबीई के एक अधिकारी ने बताया कि एमसीआई के डिप्लोमा कोर्स को बंद करने के बाद पैदा हुए अंतराल को पाटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड को उसके तत्वावधान में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की संभावना पर गौर करने को कहा था।

कोविड-19 महामारी के दौरान प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की कमजोरियां और खामियां उजागर हो गईं, इसलिए मेडिकल कॉलेज वाले तृतीय स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर अतिरिक्त बोझ डालकर उन्हें विशेष कोविड देखभाल और उपचार केंद्र बनाया जा रहा है।

एनबीई के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर पवनेंद्र लाल ने बताया कि इसलिए ग्रामीण, अर्ध-शहरी क्षेत्रों और दूसरे तथा तीसरे स्तर के शहरों में आबादी के लिए अस्पतालों को बढ़ाना अनिवार्य है। नीति आयोग, भारतीय चिकित्सा परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कई परामर्शों के बाद एनबीई ने डिप्लोमा कोर्स शुरू करने के लिए खाका तैयार किया और 20 अगस्त को इसकी घोषणा कर दी।



जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने चिकित्सा स्नातकों के लिए पीजी-डिप्लोमा कोर्स फिर से शुरू कर दिया है। यह कोर्स एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद नीट-पीजी परीक्षा उत्तीर्ण करके किया जा सकता है। डिप्लोमा कोर्सेज के लिए कम से कम 100 बिस्तरों की क्षमता वाले अस्पताल राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) से मान्यता के पात्र हैं।




स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय एनबीई ने आठ विशेष क्षेत्रों में एमबीबीएस के बाद के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत की है। इनमें एनेस्थिसियोलॉजी, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनीकोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, फैमिली मेडिसिन, ऑप्थेल्मोलॉजी, रेडियोडायग्नोसिस, ईएनटी और टीबी एवं चेस्ट डिजीज शामिल हैं।


भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने वर्ष 2019 में देश में शैक्षिक संकाय की कमी को दूर करने के लिए अपने डिप्लोमा कोर्सेज को डिग्री कोर्सेज में बदल दिया था। एनबीई के एक अधिकारी ने बताया कि एमसीआई के डिप्लोमा कोर्स को बंद करने के बाद पैदा हुए अंतराल को पाटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड को उसके तत्वावधान में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की संभावना पर गौर करने को कहा था।



कोविड-19 महामारी के दौरान प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की कमजोरियां और खामियां उजागर हो गईं, इसलिए मेडिकल कॉलेज वाले तृतीय स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर अतिरिक्त बोझ डालकर उन्हें विशेष कोविड देखभाल और उपचार केंद्र बनाया जा रहा है।

एनबीई के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर पवनेंद्र लाल ने बताया कि इसलिए ग्रामीण, अर्ध-शहरी क्षेत्रों और दूसरे तथा तीसरे स्तर के शहरों में आबादी के लिए अस्पतालों को बढ़ाना अनिवार्य है। नीति आयोग, भारतीय चिकित्सा परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कई परामर्शों के बाद एनबीई ने डिप्लोमा कोर्स शुरू करने के लिए खाका तैयार किया और 20 अगस्त को इसकी घोषणा कर दी।





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