M Salahuddin | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक अप्रत्याशित खोज है जिसने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। रिसर्च में शामिल स्टडी के लीड ऑथर और स्वीडन की उप्सला यूनिवर्सिटी में पीएचडी रिसर्चर जेना धरमशी ने बताया, 'इस माहौल में क्लमीडिया का होना पूरी तरह अप्रत्याशित है। सबसे बड़ा सवाल है कि वहां वे क्या कर रहे थे।'
क्लमीडिया ऐसा बैक्टीरिया है जो किसी अन्य जीव के शरीर में रहता है और उसी पर जिंदा रहने के लिए आश्रित होता है। इससे वैज्ञानिक और हैरान हैं कि यहां वगैर किसी मेजबान जीव के क्लमीडिया जिंदा कैसे है।
यौन संक्रामक रोग फैलाता है क्लमीडिया
क्लमीडिया ट्रकमटिस नाम के बैक्टीरिया से जो यौन संक्रामक रोग होता है, उसको क्लमीडिया के नाम से ही जाना जाता है। क्लमीडिया बैक्टीरिया की तीन प्रजाति, ट्रकमटिस, सिटेसी और न्यूमोनाए पाई जाती है। क्लमीडिया परजीवी हैं। परजीवी उन जीवों को कहा जाता है जो दूसरे जीवों के शरीरों में रहते हैं और उससे अपना खाना लेते हैं। क्लमीडिया की कोशिकाएं ऊर्जा तैयार नहीं कर पाती हैं। इसलिए वे पूरी तरह से मेजबान की कोशिकाओं पर ऊर्जा (एटीपी) के लिए निर्भर रहती हैं। चूंकि क्लमीडिया खुद को जिंदा रखने के लिए दूसरे जीव पर आश्रित होता है, इसलिए शुरू में उसे वायरस माना जाता था। लेकिन उसके अंदर कोशिकाभित्त होती है और डीएनए, आरएनए एवं राइबोसोम भी होता है, इसलिए अब उसे बैक्टीरिया माना जाता है। इस बैक्टीरिया की तीनों प्रजाति इंसान में बीमारी फैलाती है। क्लमीडिया सिटेसी (Chlamydia psittaci) बड़ी संख्या में पक्षियों और स्तनधारियों को संक्रमित करता है। क्लमीडिया ट्रकमटिस (Chlamydia trachomatis) बड़े पैमाने पर सिर्फ इंसानों तक ही सीमित है। क्लमीडिया न्यूमोनाए (Chlamydia pneumoniae) सिर्फ और सिर्फ इंसान में ही पाया जाता है।

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