indian army martyrs who are still helping military the mysterious story

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जसवंत सिंह से लेकर ओपी बाबा तक, वे शहीद जो आज भी कर रहे वतन की रखवाली

जसवंत सिंह से लेकर ओपी बाबा तक, वे शहीद जो आज भी कर रहे वतन की रखवाली

भारतीय सेना के बहादुरी के किस्से जितने रोंगटे खड़े करने वाले होते हैं उतने ही दिलचस्प भी। इस देश की मिट्टी में कई ऐसे शूरवीर हुए, जिन्होंने हंसते-हंसते अपनी जान की बाजी लगा दी। लेकिन आज भी कई भारतीय सैनिक शहीद होने के बाद इस देश की रक्षा कर रहे हैं और उनकी याद में मंदिर तक बनवाए गए हैं। पेश है ऐसे ही शूरवीरों की गाथा, जो मरकर भी जिंदा हैं:

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जसवंत सिंह रावत

जसवंत सिंह रावत

जसवंत सिंह रावत का नाम आपने खूब सुना होगा। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश के तवांग के नूरारंग की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने अकेले दम पर चीनी सेना को टक्कर दी थी और फिर शहीद हो गए। कहा जाता है कि चीनी सैनिक उनके सिर को काटकर ले गए। युद्ध के बाद चीनी सेना ने उनके सिर को लौटा दिया।

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रात-दिन पहरा देते जसंवत, मिलता प्रमोशन और छुट्टी

रात-दिन पहरा देते जसंवत, मिलता प्रमोशन और छुट्टी

जसवंत सिंह की याद में एक मंदिर भी बनाया गया है, जिसमें उनसे जुड़ीं चीजों को आज भी सुरक्षित रखा गया है। पांच सैनिक उनके कमरे की देखरेख करते हैं और बिस्तर लगाने से लेकर खाना-पीना नियमित रूप से वहां रखते हैं। सेना के जवानों का मानना है कि अब भी जसवंत सिंह की आत्मा चौकी की रक्षा करती है। अगर कोई सैनिक ड्यूटी के दौरान सो जाता है तो वह उनको जगा देते हैं। उन्हें अभी भी प्रमोशन और छुट्टियां मिलती हैं। (तस्वीर में: जसंवत सिंह रावत की मूर्ति)

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आज भी पहरा देते हैं शहीद बाबा हरभजन सिंह

आज भी पहरा देते हैं शहीद बाबा हरभजन सिंह

बाबा हरभजन सिंह के कारनामे सुनकर किसी के भी होश उड़ जाएं। भारतीय सेना के इस जांबाज सैनिक को 'नाथुला का हीरो' के नाम से जानता है। सैनिकों ने उनकी याद में एक मंदिर भी बनवाया। भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के पद पर तैनात हरभजन एक बार जब अपने काफिले के साथ जा रहे थे, तो दुर्घटनावश वह रास्ते में एक नाले में गिर गए। बाद में न तो उनका शव मिला और न ही कोई जानकारी। पर बाद में हरभजन ने अपने दोस्त के सपने में आकर अपने शव के बारे में जानकारी दी और फिर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उसके बाद कुछ ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे सेना को लगने लगा कि वह जीवित हैं और आज भी देश की सेवा कर रहे हैं।

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सियाचिन में सैनिकों की रक्षा करते हैं ओपी बाबा!

सियाचिन में सैनिकों की रक्षा करते हैं ओपी बाबा!

इस भारतीय सैनिक ने 1980 के दशक में विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र यानी सियाचिन के मलाउन पोस्ट पर दुश्मनों से अकेले लोहा लिया था। इस सैनिक का नाम था ओम प्रकाश जो शहीद होने के बाद ओपी बाबा के नाम से मशहूर हो गए। हालांकि आज भी ओपी बाबा और उनके पीछे की कहानी रहस्यों से भरी हुई है। लेकिन सैनिकों का मानना है कि ओपी बाबा की आत्मा आज भी उनकी रक्षा करती है और देश की सेवा में भी तत्परता से जुटी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि ग्लेशियर पर जब भी कोई मिशन पूरा होता है तो उसकी एक रिपोर्ट ओपी बाबा के मंदिर में जरूर जाती है। जब भी कोई मुसीबत आनी होती है तो ओपी बाबा सपने में आकर पहले ही उस बारे में बता देते हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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​माता तनोट मंदिर और 1971 के युद्ध से कनेक्शन

​माता तनोट मंदिर और 1971 के युद्ध से कनेक्शन

जैसलमेर के थार रेगिस्तान से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर मातेश्वरी तनोट राय का मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की बदौलत भारत 1971 का युद्ध जीता था। ऐसा कहा जाता है कि 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सीमा में 4 किलोमीटर तक घुस आई पाकिस्तानी सेना इस मंदिर को पार नहीं कर पाई थी और उसके द्वारा बरसाए गए गोले भी इस मंदिर पर बेअसर रहे थे...और जो भी बम मंदिर के परिसर में गिरे वे फटे भी नहीं।



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