mig-27 upgrade: mig-27 'bahadur' of kargil going to be decommissioned know important facts

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​मिग-27: विदा हो रहा करगिल का 'बहादुर', जानें खास बातें

​मिग-27: विदा हो रहा करगिल का 'बहादुर', जानें खास बातें

भारतीय वायुसेना के 'बहादुर' लड़ाकू विमान मिग-27 के बगैर करगिल युद्ध की बात अधूरी होगी। मिग-27 ने 1999 में हुए करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। अब यह 'बहादुर' 27 दिसंबर को हम से विदा हो रहा है यानी भारतीय वायुसेना से मिग-27 को सेवामुक्त किया जा रहा है। आइए आज हम इसके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं...

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परिचय

परिचय

मिग-27 रूसी मूल का लड़ाकू विमान है। सोवियत संघ के मिकोयना-गुरविच ब्यूरो द्वारा इसका डिजाइन और निर्माण दोनों किया गया था। यह उस दौर का बेहतरीन लड़ाकू विमान था। बाद में लाइसेंस पर भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा इसका निर्माण किया गया और मिग-27 के भारतीय वर्जन को 'बहादुर' नाम दिया गया। एचएएल ने 167 मिग-27 को बनाया था जिनमें से 86 का अपग्रेडेशन किया गया था। इसे 1980 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था।

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​खासियतें

​खासियतें

मिग-27 के स्विंग विंग लड़ाकू विमान है। फिक्स्ड विंग विमान के मुकाबले स्विंग विंग लड़ाकू विमान के विंग को आगे या पीछे सेट किया जा सकता है। इसमें उड़ान से संबंधित विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और वेपन कंप्यूटर लगे हुए हैं जिस वजह से इससे अलग-अलग तरह के हथियार को दागा जा सकता है। यह विमान एक साथ चार हजार किलोग्राम के हथियार ले जाने की क्षमता रखता है।

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जोरदार ग्राउंड अटैक विमान

जोरदार ग्राउंड अटैक विमान

यह कम ऊंचाई पर हमला कर सकता है और सटीक निशाना लगा सकता है। यह ग्राउंट अटैक एयरक्राफ्ट है यानी यह विमान हवा से जमीन पर हमला करने वाला सबसे अच्छा विमान रहा है। इसमें जमीनी लक्ष्यों का पता लगाने और उस पर सटीकता के साथ हमला करने के लिए खास तरह के सेंसर और नेविगेशन के उपकरण लगे हुए थे। यह करीब 1800 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम था।

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पायलट फ्रेंडली

पायलट फ्रेंडली

मिग-27 में तो मिग-23 वाले ही एयरफ्रेम का इस्तेमाल किया गया था लेकिन इसकी नोज में बदलाव किया गया था। नोज में इस तरह से बदलाव किया गया था कि इससे पायलट को कॉकपिट से सामने का ज्यादा एरिया नजर आता था।

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​अपग्रेडेशन

​अपग्रेडेशन

2002 में मिग-27 लड़ाकू विमान के अपग्रेडेशन का काम शुरू हुआ जो साल 2009 में जाकर पूरा हुआ। अपग्रेडेड मिग-27 में नेविगेशन के जबर्दस्त उपकरण लगाए गए। इसमें अत्याधुनिक सेंसर, डिजिटल मैप जेनरेटर और डिजिटल विडियो रेकॉर्डिंग सिस्टम भी लगाया गया। अपग्रेडेड विमान के कॉकपिट को पायलट फ्रेंडली बनाया गया। सटीक निशाना लगाने के लिए इसमें लेजर डेजिनेटर पॉड और लेजर रेंजर एवं मार्क्ड टारगेट सीकर लगाए गए।

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​करगिल में अहम भूमिका

​करगिल में अहम भूमिका

भारतीय वायुसेना की सेवा में तीन दशकों का मिग-27 का गौरवशाली रेकॉर्ड रहा है। करगिल समेत कई अभियानों में इसने अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों में भारत की ओर से इस विमान ने हिस्सा लिया।

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​27 दिसंबर को आखिरी उड़ान

​27 दिसंबर को आखिरी उड़ान

साल 2017 में मिग-27 के दो स्क्वॉड्रन को पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस से सेवामुक्त किया गया था। अभी इस विमान का एक स्क्वॉड्रन जोधपुर एयर बेस पर है जिसमें 7 अपग्रेडेड मिग-27 विमान हैं। इस स्क्वॉड्रन को स्कॉर्पियन-29 के नाम से जाना जाता है। आज यानी 27 दिसंबर को यह स्क्वॉड्रन भी सेवामुक्त हो जाएगा।

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​सेवामुक्त करने का कारण

​सेवामुक्त करने का कारण

इसको सेवामुक्त करने का सबसे बड़ा कारण इसकी इंजन में तकनीकी खामी का होना और दूसरा इसके कलपुर्जे का नहीं मिलना है। इंजन की तकनीकी खामी की वजह से इस विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की कई घटनाएं सामने आईं। इंजन की तकनीकी खामी को दूर करने की कोशिश की गई लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। इसी वजह से भारतीय वायुसेना तीन साल पहले ही इन विमानों को सेवामुक्त करना चाहती थी लेकिन नए लड़ाकू विमान मिलने में देरी के कारण मजबूरी में इसे उड़ाना पड़ रहा था।



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