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(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
1/7छपाक फिल्म जिस लक्ष्मी अग्रवाल पर बनी है, उनके हौसले को आप भी करेंगे सलाम

छपाक फिल्म का ट्रेलर 10 दिसंबर को रिलीज हुआ है और यह फिल्म 10 जनवरी 2020 को रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म लक्ष्मी अग्रवाल नाम की तेजाब हमले की पीड़िता पर आधारित है। फिल्म में लक्ष्मी अग्रवाल के किरदार में दीपिका पादुकोण दिखेंगी। स्टॉप सेल ऐसिड की कैंपेनर और आज के समय में फैशन दुनिया का बड़ा नाम हैं लक्ष्मी अग्रवाल लेकिन उनकी कहानी जितनी दर्दनाक है, उससे कहीं ज्यादा प्रेरक, हौसल बढ़ाने वाली और संघर्ष भरी है। आइए आज हम उनकी जिंदगी की कुछ खास बातें आपको बताते हैं...
2/7परिचय

लक्ष्मी का जन्म 1 जून, 1990 को दिल्ली की एक मिड्ल क्लास फैमिली में हुआ है। जिंदगी में गायिका बनने का सपना पाले हुई 15 साल की लड़की अपनी दुनिया में मगन थी। उसे पता भी नहीं था कि किसी सिरफिरे की वजह से जिंदगी में तकलीफ और पीड़ा का सामना करना पड़ेगा। खैर तेजाब ने भले ही उसकी शक्ल बिगाड़ दी हो लेकिन उसके सपनों, उसके इरादों और उसके फैसलों को नहीं बिगाड़ सका। आखिर में उसके हौसलों की जीत हुई और आज फैशन की दुनिया में उसका अलग मुकाम है।
3/7दुखद और जघन्य घटना

32 साल का नईम खान लक्ष्मी से शादी करना चाहता था लेकिन लक्ष्मी को उसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने नईम खान को मना कर दिया, उसके बावजूद वह लक्ष्मी का पीछा करता रहा। यह घटना 2005 की है। लक्ष्मी खान मार्केट एक बुकशॉप पर जा रही थीं। रास्ते में नईम ने उन पर तेजाब से हमला कर दिया। वह गली में गिर पड़ी और दर्द से कराह रही थीं। थोड़ी देर बाद एक टैक्सी ड्राइवर आया और उनको नजदीकी सफदरजंग अस्पताल ले गया।
4/7अस्पताल के वो दिन

लक्ष्मी को करीब तीन महीनों तक अस्पताल में रहना पड़ा जहां उनकी कई बार सर्जरी हुई। उन्होंने एक इंटरव्यू में अस्पताल के दिन को बताया जिसे सुनकर आप भी द्रवित हो सकते हैं। उन्होंने बताया, 'जिस वार्ड में मैं थी, वहां कोई आईना नहीं था। हर दिन सुबह में नर्स एक कटोरे में पानी लाती जिससे मैं अपने मुंह हाथ धोकर फ्रेश होती है। मैं उस पानी में अपने चेहरे की झलक देखने की कोशिश करती। मैं सिर्फ पट्टियां लगे अपने चेहरे की झलक देख पाती थी। कुछ समय बाद जब पहली बार मैंने अपने चेहरे को देखा तो मैं सुन्न रह गई, ऐसा लगा जैसे मेरा सबकुछ लुट गया हो। ऐसा लग रहा था कि मैं आत्महत्या कर लूं।'
5/7चेहरा बिगड़ा, हौसला नहीं और मिशेल ओबामा ने अवॉर्ड से नावाजा

तेजाब शरीर पर पड़ा, शरीर को झुलसा दिया, चेहरे को झुलसा दिया, चेहरा बिगड़ गया और जिस चीज का कुछ नहीं बिगड़ा वह था लक्ष्मी का हौसला। 2006 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की और तेजाब की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की। 2013 में कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आया और तेजाब की बिक्री पर रोक लग गई। जब 2013 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को आलोक दीक्षित और आशीष शुक्ला ने स्टॉप ऐसिड अटैक कैंपेन चलाया तो लक्ष्मी को उसकी कैंपेनर बनाया। उन्होंने अन्य तेजाब पीड़िताओं के साथ मिलकर तेजाब पीड़िताओं को तुरंत इंसाफ दिलाने और उनके पुनर्वास के लिए भूख हड़ताल किया। घटना के दौरान की अपनी स्थिति के बारे में उन्होंने एक कविता लिखी जिसमें उन्होंने अपनी दर्दभरी कहानी को बयान किया। इस तरह से लक्ष्मी तेजाब पीड़िताओं की आवाज बन गई। उनके साहस, योगदान और काम को देखने के बाद अमेरिका की तत्कालीन फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा ने उनको इंटरनैशनल विमिन ऑफ करेज अवॉर्ड से नवाजा।
6/7परिवार

स्टॉप ऐसिड अटैक अभियान के दौरान लक्ष्मी और आलोक एक-दूसरे को प्यार करने लगे। दोनों ने शादी की बजाय लिव इन रिलेशनशिप में रहने को चुना। कुछ समय बाद लक्ष्मी और आलोक की बेटी पिहू का जन्म हुआ। उसके बाद कुछ मतभेदों की वजह से दोनों अलग हो गए। लक्ष्मी को उसके बाद आजीविका के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।
7/7लोगों ने परिवार से कहा, जहर का इंजेक्शन दे दो

अस्पताल से आने की दर्द भरी कहानी को भी उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान साझा किया। उन्होंने बताया कि जब अस्पताल से घर आए तो लोग कहते थे, 'लड़की है, इसकी शादी कैसे होगी अब?', 'बॉडी के किसी और पार्ट पर ऐसिड डाल देता, फेस पर ही क्यों?'। उन्होंने बताया कि लोगों ने उनके परिवार को सुझाव दिया कि उनको जहर का इंजेक्शन देकर मार दिया जाए। उन्होंने इस पीड़ा को कुछ यूं बयान किया, 'उस आदमी ने मुझ पर सिर्फ एक बार हमला किया लेकिन समाज मुझ पर अपनी नकारात्मकातओं से बार-बार हमला करता रहा।'

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