एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Updated Thu, 28 Nov 2019 10:25 AM IST
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अब पांचवीं और आठवीं कक्षाओं में भी विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा देनी होगी। इसी के साथ अब स्कूलों में आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल न करने की व्यवस्था भी खत्म हो रही है। स्कूली परीक्षा के पैटर्न में ये बदलाव करीब 10 साल बाद किए जा रहे हैं। यह फैसला मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लिया गया है, जिसे राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में इसी शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा।
इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि 2009 तक भी ये पैटर्न लागू था। यानी पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षाएं बोर्ड के पैटर्न पर ही हुआ करती थीं। फिर आठवीं तक किसी को फेल न करने का नियम लागू हुआ और वह व्यवस्था बदल गई।
इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि 2009 तक भी ये पैटर्न लागू था। यानी पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षाएं बोर्ड के पैटर्न पर ही हुआ करती थीं। फिर आठवीं तक किसी को फेल न करने का नियम लागू हुआ और वह व्यवस्था बदल गई।
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2009 तक छात्रों को पासिंग मार्क्स देकर आगली कक्षा में बढ़ा दिया जाता था। ऐसा बच्चों से परीक्षा को लेकर मानसिक दबाव कम करने के लिए किया जा रहा था। लेकिन देखा गया कि इससे छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों में भी पढ़ने-पढ़ाने की रुचि कम हो गई।
मिलेगी अतिरिक्त क्लास की सुविधा
नई व्यवस्था लागू होते ही छात्रों को अतिरिक्त सुविधा देने की भी कोशिशें की जा रही हैं। बताया गया है कि ऐसे छात्र जो मुख्य परीक्षा में फेल हो जाते हैं, उन्हें अतिरिक्त क्लास की सुविधा दी जाएगी। हालांकि अगर इसके बाद भी वे फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। उन्हें उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा। इसके लिए स्कूल विद्यार्थियों के अभिभावकों को पत्र भी भेज रहे हैं और उनके हत्साक्षर ले रहे हैं।
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