न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 03 Aug 2019 12:08 AM IST
अब एक विश्वविद्यालय में 100 से ज्यादा कॉलेज नहीं होंगे। अगर कॉलेजों की संख्या अधिक होगी तो उनके लिए अलग से विश्वविद्यालय का गठन किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार, शोध कार्यों को बढ़ाने और छात्रों को बेहतर शिक्षा व सुविधा मुहैया करवाने के मकसद से यह नीति तैयार की है।
इसके तहत एक विश्वविद्यालय में सिर्फ 100 कॉलेजों को मान्यता देने की योजना है। इसका मकसद विश्वविद्यालयों समेत कॉलेजों में विभिन्न योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना है। इसी के तहत मंत्रालय ने राज्यों और देश के सभी विश्वविद्यालयों के साथ इस योजना को साझा करते हुए सुझाव मांगे हैं।
नीति में राज्यों के लिए मॉडल स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटी एक्ट बनाने की पेशकश की गई है। इसके तहत अगर राज्य यूनिवर्सिटी का गठन करते हैं तो केंद्र उसमें आर्थिक मदद करेगा। यह यूनिवर्सिटी किसी भी राज्य की उच्च शिक्षा विभाग की स्टेट काउंसिल के तहत गठित होगी। इसमें स्टेट काउंसिल को यूनिवर्सिटी के गठन, कुलपति, शिक्षक के चयन में नियम बनाने का अधिकार होगा।
मान्यता देने के नियमों में बदलाव
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक विश्वविद्यालय में सौ कॉलेजों को मान्यता देने के लिए यूजीसी एक्ट के तहत मान्यता नियमों में बदलाव किया जाएगा। छात्रों की संख्या व जरूरत के आधार पर नए विश्वविद्यालयों का गठन किया जाएगा। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो सौ से अधिक कॉलेज वाले विश्वविद्यालयों में प्रो वाइस चांसलर की नियुक्त होगी, ताकि वे कुलपति के साथ कामकाज में मदद करे सकें।
छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा था कि कानपुर विश्वविद्यालय में 1100 मान्यता कॉलेज हैं। हालांकि हर कॉलेज पर सीधे नजर नहीं रखी जा सकती है। सरकार अगर एक विश्वविद्यालय के तहत सिर्फ 100 कॉलेजों को मान्यता देने का नियम लागू करती है तो उससे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। इससे पहले यूजीसी कमेटी के अलावा समेत कई विश्वविद्यालयों ने इस मुद्दे पर मंत्रालय से दखल की मांग की थी।
खास बातें
- उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लिया फैसला
- सरकार ने राज्यों और विश्वविद्यालयों से साझा की नीति
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मसौदे पर मांगा सुझाव
अब एक विश्वविद्यालय में 100 से ज्यादा कॉलेज नहीं होंगे। अगर कॉलेजों की संख्या अधिक होगी तो उनके लिए अलग से विश्वविद्यालय का गठन किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार, शोध कार्यों को बढ़ाने और छात्रों को बेहतर शिक्षा व सुविधा मुहैया करवाने के मकसद से यह नीति तैयार की है।
इसके तहत एक विश्वविद्यालय में सिर्फ 100 कॉलेजों को मान्यता देने की योजना है। इसका मकसद विश्वविद्यालयों समेत कॉलेजों में विभिन्न योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना है। इसी के तहत मंत्रालय ने राज्यों और देश के सभी विश्वविद्यालयों के साथ इस योजना को साझा करते हुए सुझाव मांगे हैं।
नीति में राज्यों के लिए मॉडल स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटी एक्ट बनाने की पेशकश की गई है। इसके तहत अगर राज्य यूनिवर्सिटी का गठन करते हैं तो केंद्र उसमें आर्थिक मदद करेगा। यह यूनिवर्सिटी किसी भी राज्य की उच्च शिक्षा विभाग की स्टेट काउंसिल के तहत गठित होगी। इसमें स्टेट काउंसिल को यूनिवर्सिटी के गठन, कुलपति, शिक्षक के चयन में नियम बनाने का अधिकार होगा।
मान्यता देने के नियमों में बदलाव
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक विश्वविद्यालय में सौ कॉलेजों को मान्यता देने के लिए यूजीसी एक्ट के तहत मान्यता नियमों में बदलाव किया जाएगा। छात्रों की संख्या व जरूरत के आधार पर नए विश्वविद्यालयों का गठन किया जाएगा। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो सौ से अधिक कॉलेज वाले विश्वविद्यालयों में प्रो वाइस चांसलर की नियुक्त होगी, ताकि वे कुलपति के साथ कामकाज में मदद करे सकें।
कानपुर विवि की कुलपति ने उठाए थे सवाल
मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
- फोटो : एएनआई
छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा था कि कानपुर विश्वविद्यालय में 1100 मान्यता कॉलेज हैं। हालांकि हर कॉलेज पर सीधे नजर नहीं रखी जा सकती है। सरकार अगर एक विश्वविद्यालय के तहत सिर्फ 100 कॉलेजों को मान्यता देने का नियम लागू करती है तो उससे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। इससे पहले यूजीसी कमेटी के अलावा समेत कई विश्वविद्यालयों ने इस मुद्दे पर मंत्रालय से दखल की मांग की थी।
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