More Than 57 Percent Doctors Practicing Allopathy Are Quacks, Now Govt Also Approves Who Report - ...तो...



एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Updated Fri, 09 Aug 2019 11:53 AM IST




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क्या हमारे देश में एलोपैथी की प्रैक्टिस कर रहे ज्यादातर डॉक्टर नकली हैं? वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट तो यही कहती है और अब सरकार ने भी इस चौंकाने वाले सच को माना है।

वर्ष 2016 में भारत के स्वास्थ्य कर्मियों पर डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया था कि देश में जितने डॉक्टर्स एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर रहे हैं, उनमें से 57.3 फीसदी के पास कोई मेडिकल क्वालिफिकेशन है ही नहीं। 

तब सरकार ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया था। जनवरी 2018 में लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस रिपोर्ट को बकवास करार दिया था। लेकिन अब उसी स्वास्थ्य मंत्रालय से इस आंकड़े को औपचारिक तौर पर सही बताया गया है। 


अब क्यों सरकार मान रही है WHO की वो रिपोर्ट?


हाल में लाए गए नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य पेशेवरों (CHP) को अनुमति देने के लिए सरकार ने डब्ल्यूएचओ की उस पुरानी रिपोर्ट का सहारा लिया है।


  • नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट के संबंध में पीआईबी द्वारा 6 अगस्त को जारी किए गए एक एफएक्यू (FAQ) में कहा गया है कि वर्तमान में एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर रहे 57.3 फीसदी लोगों ने मेडिकल की शिक्षा ली ही नहीं है। 

  • 2001 की जनगणना पर आधारित डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रैक्टिस करने वाले महज 20 फीसदी डॉक्टर्स ने मेडिकल की शिक्षा प्राप्त की है। 

  • इसमें ये भी बताया गया है कि प्रैक्टिस करने वालों में से 31 फीसदी तो ऐसे लोग हैं जिन्होंने सिर्फ कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई की है।

  • स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी इस एफएक्यू में कहा गया है कि भारत की ज्यादातर ग्रामीण जनता के पास अच्छी स्वास्थ सेवा है ही नहीं। वे नकली डॉक्टर्स के चंगुल में फंसे हैं।

  • इस एफएक्यू में डब्ल्यूएचओ की साल 2016 की उसी रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसे सिर्फ डेढ़ साल पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानने से इनकार कर दिया था।

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5 जनवरी 2018 को लोकसभा में एक लिखित जवाब में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा था, 'यह रिपोर्ट भ्रम पैदा करने वाली है। मेडिकल की प्रैक्टिस करने के लिए पंजीकरण जरूरी होता है जो एमबीबीएस की डिग्री के बिना संभव नहीं है।' उन्होंने तुरंत ये भी कहा था कि 'इस तरह के नकली डॉक्टरों और झूठ से निपटने की पहली जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की बनती है'।

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खास बातें


  • 2016 में आई WHO की रिपोर्ट को पहले सरकार ने मानने से किया था इनकार

  • अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने उसी आंकड़े को बताया सच

  • देश में 57.3 फीसदी डॉक्टर्स फर्जी



क्या हमारे देश में एलोपैथी की प्रैक्टिस कर रहे ज्यादातर डॉक्टर नकली हैं? वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट तो यही कहती है और अब सरकार ने भी इस चौंकाने वाले सच को माना है।


वर्ष 2016 में भारत के स्वास्थ्य कर्मियों पर डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया था कि देश में जितने डॉक्टर्स एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर रहे हैं, उनमें से 57.3 फीसदी के पास कोई मेडिकल क्वालिफिकेशन है ही नहीं। 

तब सरकार ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया था। जनवरी 2018 में लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस रिपोर्ट को बकवास करार दिया था। लेकिन अब उसी स्वास्थ्य मंत्रालय से इस आंकड़े को औपचारिक तौर पर सही बताया गया है। 


अब क्यों सरकार मान रही है WHO की वो रिपोर्ट?











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