बीएड में प्रवेश के लिए नई परीक्षा की तैयारी
- फोटो : अमर उजाला
देश में टीचर और स्टूडेंट्स का आदर्श अनुपात 1:28 है। यानी हर 28 स्टूडेंट्स पर एक शिक्षक होना चाहिए। इस अनुपात को बनाए रखने के लिए हर साल तीन लाख प्रशिक्षित शिक्षकों की जरूरत है, जिनकी सेवा औसतन 30 साल तक रहे। लेकिन वर्तमान परिस्थिति कुछ और कह रही है।
हमारे देश में हर साल 19 लाख अभ्यर्थी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में दाखिला ले रहे हैं। यानी जितने शिक्षकों की जरूरत है, उससे 16 लाख ज्यादा। यहां मांग (डिमांड) से कहीं ज्यादा पूर्ति (सप्लाई) हो रही है।
लेकिन ज्यादा वक्त तक ऐसा नहीं चलेगा। बीएड की शिक्षा में चल रहे इस तरह की प्रबंधकीय खामी (मिसमैनेजमेंट) को दूर करने के लिए नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) कई फैसले ले रहा है। इसका सीधा असर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों पर होगा।
जानें, किस तरह के फैसले ले सकता है NCTE
एक रिपोर्ट के अनुसार एनसीटीई अध्यक्ष सतबीर बेदी ने बताया, 'साल 2009 में जब से शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून लागू हुआ है, तब से देश में शिक्षकों की मांग भी बढ़ी। इसका असर ये हुआ कि देश भर में तेजी से कई नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान खुलने लगे और शिक्षकों की गुणवत्ता में गिरावट आने लगी। इस पर नियंत्रण करने के लिए काउंसिल जल्द कुछ नई चीजें लागू करने जा रहा है'।
एनसीटीई बीएड में प्रवेश के लिए एक ऑल इंडिया लेवल एंट्रेंस एग्जाम की योजना बना रहा है। इससे हम राष्ट्रीय स्तर पर एक समान पैमाने पर अभ्यर्थियों का आंकलन कर सकेंगे। ऐसे स्टूडेंट्स चुन कर आ सकेंगे जिनमें एक बेहतर शिक्षक बनने की काबिलियत हो। यह परीक्षा जरूरी है और इसे जल्द ही लागू किया जा सकता है।
...तो क्या बंद हो जाएंगे कई बीएड संस्थान?
सतबीर बेदी ने एक साक्षात्कार के दौरान यह भी कहा कि 'ऐसे शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, जो उचित गुणवत्ता देने या खुद को बेहतर बनाने में असफल होते हैं, तो NCTE उन्हें बंद कर सकता है। ठीक उसी तरह जैसे ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) अपने संस्थानों के साथ करता है।'
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काउंसिल काउंसिलंग विषय में भी बीएड कोर्स शुरू करने की तैयारी में है। यह कोर्स एक साल का होगा। इसके तहत अभ्यर्थियों को स्कूल स्टूडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्कूलों में काउंसलर की बढ़ती मांग को देखते हुए काउंसिल ने यह कोर्स शुरू करने का फैसला किया है।
शिक्षकों को भेजा जाएगा विदेश, लेकिन क्यों?
देश में टीचर और स्टूडेंट्स का आदर्श अनुपात 1:28 है। यानी हर 28 स्टूडेंट्स पर एक शिक्षक होना चाहिए। इस अनुपात को बनाए रखने के लिए हर साल तीन लाख प्रशिक्षित शिक्षकों की जरूरत है, जिनकी सेवा औसतन 30 साल तक रहे। लेकिन वर्तमान परिस्थिति कुछ और कह रही है।
हमारे देश में हर साल 19 लाख अभ्यर्थी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में दाखिला ले रहे हैं। यानी जितने शिक्षकों की जरूरत है, उससे 16 लाख ज्यादा। यहां मांग (डिमांड) से कहीं ज्यादा पूर्ति (सप्लाई) हो रही है।
लेकिन ज्यादा वक्त तक ऐसा नहीं चलेगा। बीएड की शिक्षा में चल रहे इस तरह की प्रबंधकीय खामी (मिसमैनेजमेंट) को दूर करने के लिए नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) कई फैसले ले रहा है। इसका सीधा असर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों पर होगा।
जानें, किस तरह के फैसले ले सकता है NCTE
एक रिपोर्ट के अनुसार एनसीटीई अध्यक्ष सतबीर बेदी ने बताया, 'साल 2009 में जब से शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून लागू हुआ है, तब से देश में शिक्षकों की मांग भी बढ़ी। इसका असर ये हुआ कि देश भर में तेजी से कई नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान खुलने लगे और शिक्षकों की गुणवत्ता में गिरावट आने लगी। इस पर नियंत्रण करने के लिए काउंसिल जल्द कुछ नई चीजें लागू करने जा रहा है'।
एनसीटीई बीएड में प्रवेश के लिए एक ऑल इंडिया लेवल एंट्रेंस एग्जाम की योजना बना रहा है। इससे हम राष्ट्रीय स्तर पर एक समान पैमाने पर अभ्यर्थियों का आंकलन कर सकेंगे। ऐसे स्टूडेंट्स चुन कर आ सकेंगे जिनमें एक बेहतर शिक्षक बनने की काबिलियत हो। यह परीक्षा जरूरी है और इसे जल्द ही लागू किया जा सकता है।
...तो क्या बंद हो जाएंगे कई बीएड संस्थान?
सतबीर बेदी ने एक साक्षात्कार के दौरान यह भी कहा कि 'ऐसे शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, जो उचित गुणवत्ता देने या खुद को बेहतर बनाने में असफल होते हैं, तो NCTE उन्हें बंद कर सकता है। ठीक उसी तरह जैसे ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) अपने संस्थानों के साथ करता है।'
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काउंसिल काउंसिलंग विषय में भी बीएड कोर्स शुरू करने की तैयारी में है। यह कोर्स एक साल का होगा। इसके तहत अभ्यर्थियों को स्कूल स्टूडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्कूलों में काउंसलर की बढ़ती मांग को देखते हुए काउंसिल ने यह कोर्स शुरू करने का फैसला किया है।
शिक्षकों को भेजा जाएगा विदेश, लेकिन क्यों?
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