(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
2/6वह रात

जॉन एफ.केनडी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लिए चार दिन हुआ था। अमेरिका का एक बी-52 बमवर्षक विमान नॉर्थ कैरोलिना को गोल्ड्सबोरो में उड़ान भर रहा था। उसमें 3.8 मेगाटन के दो मार्क 39 हाइड्रोजन बम थे। हिरोशिमा और नागासाकी पर जो परमाणु बम गिराए गए थे, उसके मुकाबले वे दोनों बम 260 गुना ज्यादा शक्तिशाली थे। आधी रात के समय बमबर्षक विमान की बीच आसमान में रिफ्यूलिंग होनी थी। रिफ्यूलिंग एक नियमित प्रक्रिया थी। रिफ्यूलिंग करने वाले चालक दल के सदस्यों ने देखा कि विमान के दायें विंग से ईंधन का रिसाव हो रहा है। इस वजह से रिफ्यूलिंग बंद कर दी गई। वैसे यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी क्योंकि विमान सुरक्षित लैंडिंग जोन तक पहुंचाने में सक्षम था।
(फोटो: साभार विकिमीडिया कॉमंस)
3/6बेकाबू हुआ विमान

विमान में चालक दल के 8 सदस्य शामिल थे। उन सभी को एक नजदीकी वायुसेना अड्डे पर विमान को उतारने को कहा गया। वे विमान को सुरक्षित ढंग से उतारने जा ही रहे थे कि विमान से उनका नियंत्रण खत्म हो गया। विमान बेकाबू होकर हिचकोले खाने लगा। उस स्थिति में पायलट ने चालक दल के सदस्यों से विमान छोड़कर कूद जाने को कहा। पायलट और अन्य चार सदस्य तो सुरक्षित जमीन पर पहुंच गए। बाकी तीन जहाज में ही फंसे रह गए। विमान नॉर्थ कैरोलिना की राजधानी राली से करीब 60 मील पूर्व में जाकर गिरा। मैदान में आसपास आग लग गई।
(फोटो: साभार USAF)
4/6बमों का क्या हुआ?

जब विमान हिचकोले खा रहा था तो उसका बम-बे (बम रखने वाला विमान का कंपार्टमेंट) का दरवाजा खुल गया। इससे दोनों न्यूक्लियर बम जमीन पर पहुंचने के लिए नीचे की ओर गिर गए। पहला विमान एक पेड़ पर सुरक्षित गिरा और उस पर अटक गया। उस बम का आर्मिंग स्विच सेफ पोजिशन में था, इसलिए उसको फटने का खतरा नहीं थी और वह फटा भी नहीं।
(फोटो: साभार बिजनस इंसाइडर)
5/6दूसरे बम के साथ चमत्कार

दूसरे बम का पैराशूट फेल हो गया और जमीन से टकराकर वह टुकड़े-टुकड़े हो गया। उसके इतने टुकड़े हो गए थे कि सभी टुकड़ों को जमा करने में सात दिन लग गए। सबसे बड़ा चमत्कार हुआ कि वह बम फटा नहीं। एक न्यूक्लियर बम को फटने के लिए सात स्टेप होते हैं जिनमें से इस बम ने छह स्टेप पूरे कर लिए थे। उसका आर्मिंग स्विच भी ऐक्टिव था लेकिन वह फटा नहीं। इस पर काफी लंबे समय तक चर्चा होती रही लेकिन कोई ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका।
(फोटो: साभार बिजनस इंसाइडर)
6/6टल गई बड़ी तबाही

दोनों बम 3.8 मेगाटन क्षमता के थे। जो बम हिरोशिमा पर गिराए गए थे, वे .015 मेगाटन के थे। यानी मार्क 39 बम हिरोशिमा पर गिराए गए बम के मुकाबले 250 गुना ज्यादा शक्तिशाली थे। अनुमान के मुताबिक, अगर बम फट गया होता तो पल भर में करीब 28,000 लोगों की जानें चली जातीं। बाद में रेडिएशन से मचने वाली तबाही का तो कोई अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता है।
(फोटो: साभार बिजनस इंसाइडर)
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