नई दिल्ली
2016 की गर्मी की छुट्टियों के दौरान बेंगलुरु में लॉ की पढ़ाई कर रही फलिता अशोक ने अपनी पब्लिक स्पीकिंग स्किल के जरिए पैसे कमाने का फैसला किया था। इसके लिए उन्होंने एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के साथ पेड इंटर्नशिप की थी। आज यह स्किल उनके लिए पार्ट टाइम जॉब में बदल गई है।
फलिता ने बताया, 'साइड जॉब से मेरे रोजाना के खर्चे पूरे हो पाते हैं। एक स्टूडेंट होते हुए ऐसा कर पाने से मुझे खुशी होती है।' उनकी तरह आज कई स्टूडेंट्स पॉकेट मनी के लिए पेड इंटर्नशिप और पार्ट टाइम जॉब का सहारा ले रहे हैं। इंटर्नशाला के फाउंडर और सीईओ सर्वेश अग्रवाल ने बताया, 'ज्यादा स्टाइपेंड वाली इंटर्नशिप के लिए अधिक ऐप्लिकेशंस आती हैं। इससे यह पता चलता है कि इंटर्नशिप ढूंढते वक्त स्टूडेंट्स के लिए स्टाइपेंड महत्व रखता है।'
स्टाइपेंड और गोल का महत्व
बिना वेतन के इंटर्नशिप का चलन लगभग खत्म हो चुका है। कंपनियां इंटर्न्स के नए नजरिये को बिजनेस के लिए महत्वपूर्ण समझती हैं और इसके लिए उन्हें ठीक-ठाक पैसे देती हैं। बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिक्रूटमेंट चेयर के पार्टनर और डायरेक्टर सुमित गुप्ता ने बताया, 'एक बाहरी शख्स के अलग नजरिये और उससे प्रॉब्लम सॉल्व करने में हमें काफी मदद मिलती है।'
एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्टूडेंट्स को अनपेड इंटर्नशिप से बचना चाहिए, जब तक कि वह किसी नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन के साथ न हो। हालांकि सिर्फ अच्छे स्टाइपेंड को ही देखकर इंटर्नशिप करने का फैसला नहीं करना चाहिए। अग्रवाल ने बताया, 'कई बार स्टूडेंट्स कम स्टाइपेंड वाली इंटर्नशिप को भी चुनते हैं, अगर वह उनके करियर गोल से मैच करती हो।'
एमए कर रही अनसुइया बोरा अंडमान में एक प्रफेसर के साथ बिना किसी स्टाइपेंड के बतौर रिसर्च असोसिएट का काम करने वाली हैं। अनसुइया का कहना है, 'इससे मैं डेटा कलेक्शन के बारे में सीख पाऊंगी। मुझे बिना सैलरी के काम करने में कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मेरे रहने और आने-जाने की व्यवस्था कर दी जाएगी।'
बेंगलुरु की दीप्ता पाई ने एक बड़ी ऐनालिटिक्स कंपनी की कम वेतन वाली इंटर्नशिप के लिए हामी भरी क्योंकि उन्हें पसंद का काम करने का मौका मिल रहा था। इसका फायदा यह हुआ की उन्हें बाद में उस कंपनी से प्री-प्लेसमेंट ऑफर मिल गया।
पसंद-नापसंद का लगाएं अंदाजा
कई बार स्टूडेंट्स अपने कोर्स से जुड़ी चीज में इंटर्नशिप करना चाहते हैं। हालांकि यह पैटर्न बदल रहा है। स्टूडेंट्स आज इंटर्निशिप को अलग-अलग करियर फील्ड आजमाने के मौके के तौर पर देख रहे हैं।
क्वेजएक्स डॉट कॉम के संस्थापक और सीईओ देवाशीष चक्रवर्ती का कहना है, 'इंटर्नशिप से स्टूडेंट्स को यह समझने में मदद मिलती है कि इंडस्ट्री और वह काम उन्हें अपील कर रहा है या नहीं।'
करियर को दें दिशा
पैसे के अलावा इंडस्ट्री का एक्सपोजर और स्किल्स का विस्तार करना भी प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए जरूरी है। दीप्ता ने बताया, 'कॉलेज के डमी प्रोजेक्ट्स के बजाय मुझे चैलेंजिंग प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका मिला और मैंने कोडिंग की अच्छी प्रैक्टिस की। यह शानदार अनुभव था।' इन वजहों से स्टूडेंट्स अब इंटर्नशिप को गर्मी की छुट्टी काटने के नजरिये से नहीं देखते। कई मास्टर प्रोग्राम्स में इंटर्नशिप को करिकुलम का हिस्सा बना दिया गया है। इंटर्नशिप करने वाले स्टूडेंट्स को अच्छी नौकरी मिलने या अच्छे कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला लेने में मदद मिलती है।
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